देश की बड़ी आईटी कंपनी विप्रो (wipro) के एक्जीक्यूटिव चेयरमैन अजीम प्रेमजी ने अपने रिटायरमेंट का ऐलान कर दिया है. बीएसई और एनएसई को दी जानकारी के मुताबिक, उनका कार्यकाल 30 जुलाई, 2019 को खत्म होगा. अजीम प्रेमजी ने अपना उत्तराधिकारी भी चुन लिया है. उनके बेटे रिशद प्रेमजी बतौर एक्जीक्यूटिव चेयरमैन विप्रो की कमान संभालेंगे. इसके अलावा कंपनी के मैनेजमेंट में भी बदलाव हुआ. विप्रो के बोर्ड मुताबिक, आबि दअली जेड नीमचवाला को कंपनी का CEO और प्रबंध निदेशक नियुक्त किया गया है. ये भी अपना चार्ज 31 जुलाई, 2019 से संभालेंगे.

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53 साल तक संभाली कंपनी

अजीम प्रेमजी ने तकरीबन 53 साल तक विप्रो की कमान संभाली. हालांकि, वह नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और फाउंडर चेयरमैन के तौर पर कंपनी के बोर्ड में अपनी सेवाएं देते रहेंगे. कंपनी ने अजीम के बेटे रिशद प्रेमजी को अगले पांच सालों के लिए पूर्णकालिक निदेशक और एग्जिक्यूटिव चेयरमैन नियुक्त कर दिया है.

कौन है रिशद प्रेमजी

1.76 लाख करोड़ रुपए की मार्केट कैप वाली आईटी कंपनी विप्रो को अब नया चेयरमैन मिल गया है. रिशद प्रेमजी 31 जुलाई से चेयरमैन की कुर्सी संभालेंगे. सन 2007 में रिशद विप्रो का हिस्सा बने थे. विप्रो में काम शुरू करने से पहले वो लंदन की एक वेब कंपनी में काम करते थे. उन्होंने GE कैपिटल के साथ भी काम किया है. रिशद प्रेमजी ने हॉवर्ड बिजनेस स्कूल से MBA किया है. साल 2014 में उनको वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने यंग ग्लोबल लीडर का अवार्ड दिया था. रिशद आईटी कंपनियों के संगठन नैस्कॉम (NASSCOM) के चेयरमैन भी रहे हैं.

यंग ब्रिगेड होगी तैयार

रिशद विप्रो की तरफ से चलाए जा रहे सामाजिक और शिक्षा से जुड़े कामों को भी देखते रहे हैं. रिशद विप्रो में यंग प्रोफेशनल्स को ज्यादा इनसेंटिव देने के पक्ष में रहते हैं. वो ऐसा कर कंपनी के साथ ज्यादा बेहतर लोगों को जोड़े रखना चाहते हैं. यही सीख भी उन्हें अपने पिता से ही मिली है. अजीम प्रेमजी को कॉरपोरेट जगत में आईटी का मास्टरमाइंड माना जाता है. कारोबार को कैसे चलाना है यह उन्हें बखूबी आता है.

पाकिस्तान नहीं गए थे प्रेमजी

अजीम प्रेमजी का जन्म 29 दिसंबर, 1945 को हुआ था. उनके दादा भारत के जाने-माने चावल व्यापारी थे. प्रेमजी का बचपन मुंबई में बीता. अजीम के पिता मो. हुसैन हशम प्रेमजी भी कारोबारी थे. हशम प्रेमजी ने महाराष्ट्र के अमलनेर में फैक्टरी लगाई थी. वहां वनस्पति तेल, साबुन आदि का प्रॉडक्शन होता था. प्रेमजी का परिवार गुजरात से नाता रखता है. पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना भी गुजराती मुस्लिम थे. जब भारत का विभाजन हुआ, तो जिन्ना ने हशम प्रेमजी को पाकिस्तान में बसने के लिए बुलाया था. जिन्ना ने उन्हें पाकिस्तान का वित्त मंत्री बनाने की पेशकश की थी. लेकिन, हशम प्रेमजी ने अपनी जन्मभूमि भारत में ही रहना पसंद किया.