वेदांता लिमिटेड (Vedanta Limited) झारखंड में 45 लाख टन सालाना क्षमता का इस्पात कारखाना लगाएगी. कंपनी इस संयंत्र पर 3 से 4 अरब डॉलर का निवेश करेगी. वेदांता रिसोर्सेज के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने कहा कि इस संयंत्र की स्थापना हाल में अधिग्रहीत इलेक्ट्रोस्टील स्टील्स लिमिटेड (ESL) के तहत की जाएगी.

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ईसीएल के अंतर्गत यह नया इस्पात संयंत्र होगा और बोकारो में उसी स्थान पर ही होगा. इस तरह से यह पुरानी परियोजना में निवेश होगा. करीब 45 लाख टन की क्षमता के लिए तीन-चार अरब डॉलर के निवेश की संभावना है. वेदांता शुरुआत में ईएसएल की 15 लाख टन की क्षमता को बढ़ाकर 25 लाख टन करने के लिए 30 करोड़ डॉलर का निवेश करेगी.

नए संयंत्र के शुरू होने के बाद ईएसएल की कुल क्षमता 70 लाख टन सालाना की हो जाएगी. हालांकि, अग्रवाल ने इसके लिए कोई समयसीमा नहीं बताई. नए संयंत्र से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 1,20,000 रोजगार के अवसरों का सृजन होगा. 

अग्रवाल ने कहा कि हमारे पास ईएसएल में 2,200 एकड़ जमीन है. हम और जमीन की तलाश में हैं. इस बारे में झारखंड सरकार का रवैया काफी सहयोग वाला है. इस साल मार्च में ईएसएल की कॉरपोरेट दिवाला शोधन प्रक्रिया के तहत वेदांता को सफल आवेदक घोषित किया गया था. 

कंपनी ने अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी वेदांता स्टार लिमिटेड के जरिये ईएसएल का अधिग्रहण कर नए निदेशक मंडल की नियुक्ति की थी. अग्रवाल ने कहा कि अगले 3 साल में वेदांता तेल और गैस, एल्युमीनियम, जस्ता और चांदी जैसे क्षेत्रों में आठ अरब डॉलर का निवेश करेगी.

उन्होंने वैश्विक पेट्रोलियम कंपनियों से भारत में निवेश करने को कहा. अग्रवाल ने इसके लिए इस क्षेत्र में ‘मंजूरी की आसान प्रक्रिया’ का हवाला दिया. तमिलनाडु में स्टरलाइट तांबा संयंत्र को लेकर चल रहे विवाद में के बारे में अग्रवाल ने कहा कि यह दुनिया के सबसे अच्छे तांबा संयंत्रों में से एक है और इकाई को फिर से शुरू किया जाना भारत के हित में होगा.

स्टरलाइट कॉपर ने शनिवार को कहा था कि तूतीकोरिन में संयंत्र को दोबारा शुरू करने के लिए वह राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के आदेश के अनुपालन को लेकर उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगी. तमिलनाडु सरकार ने प्रदूषण संबंधी चिंताओं को लेकर स्थानीय लोगों के प्रदर्शन के कारण 28 मई को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को तांबा संयंत्र को ‘स्थायी’ तौर पर बंद करने का आदेश दिया था.