Cough Syrup Deaths: नोएडा की Marian Biotech के Cough Syrup से उज्बेकिस्तान में बच्चों की मौत के बाद भारत की फार्मा इंडस्ट्री पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं. मेरियन फार्मा के DOK-1 सिरप में मौजूद Ethylene glycol या Diethylene glycol को बच्चों की हालत बिगड़ने के पीछे दोषी माना जा रहा है. कंपनी की वेबसाइट पर पहले जो फार्मूला दर्ज था, उसके मुताबिक Dok1 Max syrup में पैरासिटामोल, Guaifenesin और Phenylephrine Hydrochloride तत्व मौजूद हैं. एक्सपर्ट्स का मानना है कि आमतौर पर इस तरह के कफ सिरप को बनाने की लागत कम करने के लिए इसमें Ethylene glycol या Diethylene glycol की मिलावट कर दी जाती है. 

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लेकिन अब मेरियन बायोटेक की वेबसाइट इंटरनेट से गायब है और Dok1 Max syrup की जानकारी भी कंपनी की वेबसाइट से नदारद हो चुकी है. Marion Biotech दरअसल Emnox ग्रुप की सब्सिडियरी कंपनी है- इस ग्रुप का पेज भी वेबसाइट से गायब हो चुका है.  

नोएडा की मेरियन फार्मा पर यूपी के ड्रग कंट्रोलर और केंद्र की संस्था CDSCO ने जांच शुरु कर दी है. कंपनी के सिरप DOK 1 के सैंपल जांच के लिए चंडीगढ़ की लैब में भेज दिए गए हैं. इस बीच सरकार ने कंपनी को प्रोडक्शन रोकने के आदेश दे दिए हैं. WHO से भी ज़ी मीडिया ने इस मसले पर बात की है. WHO ने अपने जवाब में कहा है की वो उज्बेकिस्तान की सरकार के संपर्क में हैं और आरोपों की सत्यता की जांच कर रहा है.

क्या है इथलिन ग्लायकोल (Ethylene glycol)?

इथलिन ग्लायकोल एक केमिकल है- जो इंडस्ट्रियल और मेडिकल दोनों इंडस्ट्री के इस्तेमाल में आता है. अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल यानी CDC की वेबसाइट के मुताबिक, “Ethylene glycol (इथलिन ग्लायकोल) रंग और गंध रहित एक लिक्विड है जो मीठा होता है चीजों को जमने से रोकता है. हालांकि इसका ज्यादा इस्तेमाल किडनी और दिमाग पर बुरा असर डाल सकते हैं."

उज्बेकिस्तान में हुई मौतों का मुंबई के जेजे अस्पताल में 1986 में हुई मौतों से कनेक्शन  

जनवरी 1986 में मुंबई के जेजे अस्पताल में 10 से 76 साल के 14 मरीजों की जान Ethylene glycol (इथलिन ग्लायकोल) की वजह से चली गई थी. उस समय ये कंपाउंड कफ सिरप के अलावा मोतियाबिंद के मरीजों को ग्लिसरीन के तौर पर दिया जाता था. नागपुर के एक मेडिकल कॉलेज में इसी वर्ष Ethylene glycol (इथलिन ग्लायकोल) की वजह से कुछ मरीजों की मौत हुई थी, जिसके बाद ये मामला अदालत तक पहुंचा था. उस समय नागपुर के गांधी मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर रहे डॉ एस एस गंभीर ने बताया कि मरीजों की मौत की वजहों की जांच के पीछे तब भी इसी तरह का कंपाउंड पाया गया था.

2020 में भी हो चुकी हैं ऐसी मौतें

2020 में भी जम्मू-कश्मीर में 12 बच्चों की मौत कफ सिरप से हुई. चंडीगढ़ PGI के डॉक्टरों ने सेंट्रल ड्रग अथॉरिटी CDSCO को एक कफ सिरप COLDBEST की शिकायत की थी. इस कफ सिरप के इस्तेमाल से जम्मू-कश्मीर के उधमनगर के 12 बच्चों की मौत हो गई थी. इस कफ सिरप में भी diethylene glycol मिला हुआ था.  

गांबिया ने अक्टूबर में भारत के कफ सिरप से बच्चों की मौत का आरोप लगाया 

अफ्रीकी देश गांबिया ने अक्टूबर के महीने में भारत के हरियाणा की फार्मा कंपनी मेडन फार्मा के कफ सिरप से अपने देश में 66 बच्चों की मौत का आरोप लगाया था हालांकि गांबिया इस आरोप को अब तक साबित नहीं कर पाया है. लेकिन गांबिया से जो शुरुआती रिपोर्ट सामने आई थी उसमें मेडन फार्मा के कफ सिरप में Ethylene glycol मिला था. 1937 में अमेरिका में Diethylene glycol वाला कफ सिरप लेने से तकरीबन 100 मरीजों की जान चली गई थी.  

WHO ने भारत में बने सिरप पर October में अलर्ट जारी किया था

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) ने 5 अक्टूबर को भारत के 4 कफ-सिरप को लेकर अलर्ट जारी किया था. WHO ने कहा था कि ये प्रोडक्ट मानकों पर खरे नहीं हैं. ये सिरप हैं प्रोमेथाज़ीन ओरल सॉल्यूशन (Promethazine Oral Solution), कोफैक्स मालिन बेबी कफ सिरप (Kofex Malin Baby Cough Syrup), मकॉफ बेबी कफ सिरप (Makoff Baby Cough Syrup)और मोग्रिप एन कोल्ड सिरप (Magrip N Cold Syrup) 

WHO की रिपोर्ट में लिखा था कि कफ-सिरप में डायथेलेन ग्लाईकोल (diethylene glycol) और इथलिन ग्लायकोल (ethylene glycol) की इतनी मात्रा है कि ये इंसानों के लिए जानलेवा हो सकते हैं. इन कंपाउंड की वजह से भारत में भी बच्चों समेत 33 की जान जा चुकी है, लेकिन इन कंपाउंड पर बैन नहीं लगाया गया. दो महीने से कम वक्त में दो देशों के भारत पर आरोप लगने के बाद भारत की दुनिया की फार्मेसी वाली छवि को धक्का लगा है. ऐसे में सच और झूठ का जल्द सामने आना जरूरी है.  

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