उत्तराखंड में इलेक्ट्रिक वाहन IT सैक्टर को बढ़ावा देगी सरकार
इलेक्ट्रिक वाहनों का बाजार विश्व में तेजी से बढ रहा है और इसके साथ ही भारत में भी इस क्षेत्र में तेजी से वृद्धि हुई है.
प्रदूषण रहित, सस्ती और सुरक्षित इलेक्ट्रिक वाहन प्रोद्यौगिकी को बढ़ावा देने के लिये उत्तराखंड सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) और ईवी से जुड़े उत्पादों के निर्माण को विशेष दर्जा देते हुए एक नयी नीति जारी की है. इस नीति में उद्यमियों के लिये कई रियायतों की घोषणा की गयी है.
उत्तराखंड इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माणक, ईवी उपयोग संवर्धन और संबंधित सेवा अवसंरचना नीति — 2018 के तहत वाहन क्षेत्र को प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में से एक के रूप में परिभाषित करते हुए प्रदेश को ईवी विनिर्माण के लिये पसंदीदा गंतव्य स्थल बनाने, उच्च स्तरीय बुनियादी ढांचे के सृजन और अनुकूल विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र को विकसित करने की योजना बनायी गयी है.
हाल में जारी इस नीति में केंद्र सरकार द्वारा 2030 तक भारत को 'इलेक्ट्रिक वाहन राष्ट्र' बनाने की योजना का जिक्र करते हुए कहा गया है कि ईवी प्रोद्यौगिकी प्रदूषण रहित, सस्ती ईंधन लागत, कम रखरखाव खर्च, ऊर्जा कुशल तथा सुरक्षित होने के साथ—साथ आर्थिक रूप से व्यवहारिक भी है.
एक अध्ययन के अनुसार, भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग दुनिया का सबसे बढता हुआ उद्योग है और देश को आर्थिक विकास की ओर ले जा सकता है.
इलेक्ट्रिक वाहनों का बाजार विश्व में तेजी से बढ रहा है और इसके साथ ही भारत में भी इस क्षेत्र में तेजी से वृद्धि हुई है. नीति आयोग द्वारा पिछले साल नवंबर में पेश किये गये एक अनुमान के अनुसार, वर्ष 2020 तक ईवी उपभोक्ताओं की संख्या लगभग 80 लाख और 2030 तक लगभग पांच करोड़ हो जायेगी.
उत्तराखंड में इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण करने वाले और इलेक्ट्रिक बैटरी निर्माण के लिये इकाइयां लगाने वाले उद्यमियों को ऋण पर देय ब्याज में छूट दी जाएगी.
इसके अलावा वाणिज्यिक उत्पादन प्रारंभ करने की तिथि से पांच वर्षों तक विद्युत बिलों में देय इलेक्ट्रिसिटी डयूटी की शत प्रतिशत प्रतिपूर्ति की जायेगी. स्टांप शुल्क प्रभार में छूट एमएसएमई, वृहद औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति एवं वृहत आद्योगिक नीति के प्रावधानों के अनुरूप दी जायेगी .
ईवी क्षेत्र में ऐसी सभी इकाइयां जिन्होंने 100 या उससे अधिक कुशल या अकुशल कर्मचारियों को सीधे सेवायोजित किया है, वाणिज्यिक उत्पादन प्रारंभ करने की तिथि से 10 वर्ष के लिये ईपीएफ अभिदान के 50 प्रतिशत मात्रा या अधिकतम दो करोड रूपये उपलब्ध कराये जाएंगे.
तैयार माल पर ‘इनपुट टैक्स क्रेडिट’ के समायोजन के पश्चात उत्पादन प्रारंभ करने की तिथि से पांच वर्ष के लिये 10—50 करोड रू तक के निवेश वाले और एमएसएमई उद्यमों को 30 प्रतिशत तथा बड़े, वृहत तथा अति वृहत उद्यमों को वृहत औद्योगिक नीति के प्रावधानों के अनुरूप 30 या 50 प्रतिशत एसजीएसटी में छूट दी जायेगी.
सिडकुल औद्योगिक क्षेत्र में भूमि की लागत में छूट वृहत औद्योगिक नीति तथा 10-50 करोड रूपए तक की इकाइयां लगाने वाले निवेशकों को वृहद औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति के प्रावधानों के तहत दी जायेगी.
राज्य में अभी शुरूआती चरण में चल रहे ईवी क्षेत्र को समर्थन और बढावा देने के लिये राज्य के सभी हिस्सों को एकल क्षेत्र के रूप में वर्गीकृत किया गया है और प्रस्तावित रियायतें प्रदेश के सभी हिस्सों में समान रूप से लागू होंगी.