अब वो दौर नहीं रहा जब पटाखों के शौकीन सिर्फ मुर्गा ब्रांड का पटाखा मांगते थे. इस बार बाजार में 5 फेमस ब्रांड के पटाखे मौजूद हैं, लेकिन मुर्गे का बाजार ठंडा है. पटाखों का कारोबार उतना बड़ा नहीं है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने इस बार पटाखे की बिक्री का आदेश तो दिया है, लेकिन लोग अभी तक घरों से निकलकर बाजार में नहीं पहुंचे हैं. इस बार पटाखा कारोबार काफी तेज रहने की उम्मीद जताई गई थी, जबकि पटाखे पहले के मुकाबले 10 से 15 फीसदी महंगे हैं, लेकिन अभी तक बाजार में कोई खास भीड़ नहीं देखी गई थी. हालांकि, कारोबारियों का मानना है कि दिवाली से ठीक पहले आखिरी वीकएंड पर पटाखा कारोबार में तेजी आ सकती है.

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कौन-कौन से ब्रांड के हैं पटाखे

दिल्ली में पटाखों के दो बड़े बाजार हैं. जामा मस्जिद और सदर बाजार. दिल्ली के सदर पटाखा बाजार में कुल 5 ब्रांड मौजूद हैं. लोगों को इन पांचों ब्रांडों के नाम से कोई फर्क नहीं पड़ता. उन्हें जो चाहिए, वो जिस ब्रांड में भी हो, वो ही खरीद रहे हैं. मुर्गा के अलावा जो ब्रांड बाजार में मौजूद हैं, उनमें कॉर्नेशन, स्टैंडर्ड, जम्बो फायरवर्क्स, राजेश्वरी फायरवर्क्स और मीनाक्षी फायरवर्क्स हैं. मुर्गा छाप पटाखा कैलाशवरी फायरवर्क्स बनाती है.

आइए जानते हैं बाजार के टॉप 5 ब्रान्ड के बारे में-

1- मुर्गा ब्रांड

पहले बाजारों में सिर्फ मुर्गा यानी कॉक ब्रान्ड का कब्जा था. 70 फीसदी कारोबार अकेला मुर्गा छाप पटाखे का होता था, लेकिन पिछले कुछ सालों में कॉक ब्रान्ड की मांग घटी है. बाजार में इसका हिस्सा मात्र 50 फीसदी रह गया है. मुर्गा ब्रांड का सालाना कारोबार लगभग 18 करोड़ रुपए का है. हर बार पेपर कॉस्ट और बारूद के दामों के चलते पटाखों के दाम में कुछ न कुछ तेजी देखी जाती है, लेकिन बाजार में मौजूद दूसरे ब्रांड सस्ता कागज इस्तेमाल करते हैं. साथ ही बारूद के नाम पर भी कई पटाखों में पोटैशियम की मिक्सिंग की जाती है. साथ ही लेबर कॉस्ट और ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट के लिहाज से भी दूसरे ब्रांड मुर्गा छाप से सस्ते हैं.

2- कॉर्नेशन फायरवर्क्स

कॉर्नेशन फायरवर्क्स मुर्गा छाप पटाखा के बाद दूसरा सबसे बड़ा ब्रांड है. इसकी फैक्ट्री भी शिवाकाशी में मौजूद है. तमिलनाडु में मौजूद कॉर्नेशन फायरवर्क्स से निर्मित पटाखों की सप्लाई भारत के 800 इलाकों में होती है. कंपनी का सालाना कारोबार 35 करोड़ रुपए का कारोबार होता है. कंपनी कुल 201 तरह के पटाखों का निर्माण करती है. कंपनी का कुल 14 फैक्ट्री का सेटअप हैं, जिसमें 4000 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं. कंपनी हर साल सीजन के वक्त अपने कर्मचारी की संख्या में इजाफा करती है. ये इजाफा सीजनल ही होता है. इस वर्ष भी हर फैक्ट्री में 400 अधिक कर्मचारियों को नियुक्त किया गया था.

3- स्टैंडर्ड फायरवर्क्स

स्टैंडर्ड फायरवर्क्स भी बाजार के प्रमुख ब्रांड में से एक है. माचिस बनाने वाली कंपनी पिछले दो दशकों से पटाखों का भी निर्माण कर रही है. शुरुआती दौर में कंपनी को बाजार में मौजूद प्रतिद्वंदियों से कड़ा मुकाबला मिला था, लेकिन कंपनी ने बाजार में अपनी एक पहचान स्थापित की. कंपनी का मुख्य कार्यालय शिवाकाशी में है, लेकिन कंपनी भारत के विभिन्न हिस्सों में छोटी इकाईयों के रूप में भी काम कर रही है. कंपनी का सालाना पटाखा कारोबार करीब 25 करोड़ रुपए का है. 

4- जंबो फायरवर्क्स

जंबो फायरवर्क्स चाइना मेड पटाखे भारतीय बाजार में उतरती है. इसकी खासियत ये है कि कंपनी 1500 वैरायटी के पटाखों का निर्माण करती है. इसके अलावा रिमोट से चलने वाले पटाखों का भी निर्माण किया जाता है. कंपनी खासकर शेप वाइज पटाखों का निर्माण करती है. जैसे जेड शेप, वी शेप और फैन शेप पटाखे तैयार करती है. हालांकि, इसकी सप्लाई भारत के अलावा भी कई देशों में है. सालाना कारोबार की तुलना में भारतीय पटाखा कंपनी से काफी आगे है.

5- राजेश्वरी फायरवर्क्स

राजेश्वरी फायरवर्क्स के नाम से ही इसकी पहचान होती है. इसके मुर्गा छाप पटाखा को हर पटाखे का शौकीन जानता है, लेकिन राजेश्वरी को पहली बार पहचान उसके डक ब्रांड से मिली थी. इसके बाद सन ब्रांड और एनिल ब्रांड से भी इसे जाना गया, लेकिन जो प्रसिद्धि इसे मुर्गे से मिली, वो किसी और से नहीं मिली. राजेश्वरी फायरवर्क्स का सालाना कारोबार भारत के पांच राज्यों दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड और पंजाब में होता है. इसके अलावा एक्सपोर्ट के मामले में भी राजेश्वरी फायरवर्क्स काफी आगे है. कुल 350 अलग-अलग तरह के पटाखों का निर्माण तीन कैटेगरी में होता है. इसमें दिवाली, क्रिसमस और न्यू ईयर के लिए अलग-अलग निर्माण होता है. क्रिसमस पर ज्यादातर पटाखा एक्सपोर्ट होता है. कंपनी का सालाना कारोबार लगभग 2000 करोड़ रुपए का है.

करोड़ों का कारोबार, लाखों को रोजगार

शिवकाशी में इस समय 728 पटाखा निर्माता इकाइयां हैं. इनमें 200 बड़ी इकाइयां शामिल हैं. इंडस्ट्री का कारोबार 3 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का है और यहां 3 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है. इनमें से 1.75 लाख लोग सीधे तौर पर इंडस्ट्री से जुड़े हैं. भारतीय पटाखा बाजार में शिवकाशी के पटाखों का हिस्सा अब 80 से कम होकर 60 प्रतिशत रह गया है.