INS शिशुमार सबमरीन को अपग्रेड करेगी Thyssenkrupp, 410 करोड़ का हुआ करार
आईएनएस शिशुमार के अपग्रेडेशन का काम 2021 तक पूरा हो जाएगा इससे पनडुब्बी की लाइफ कम से कम 10 साल और बढ़ जाएगी.
जर्मनी की प्रसिद्ध इंजीनियरिंग एंड स्टील प्रोडेक्शन कंपनी थाइसेनकृप (Thyssenkrupp) भारत के लिए गैर परमाणु पनडुब्बी आईएनएस-शिशुमार को अपग्रेड करेगी. इस काम के लिए माझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) ने थाइसेनकृप के साथ 410 करोड़ का एक करार किया है. आईएनएस-शिशुमार के लिए मध्यम रिफिट-कम-अपग्रेडेशन (एमआरएलसी) अनुबंध अक्टूबर में किया जाएगा और 2021 तक यह काम पूरा होने की उम्मीद है. इस अपग्रेडेशन के बाद इस पनडुब्बी की लाइफ कम से कम 10 साल और बढ़ जाएगी.
थाइसेनकृप के सीईओ (मरीन सिस्टम्स) डॉ. रॉल्फ वर्त्ज (Rolf Wirtz) ने कहा, हम माझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) के साथ एक अच्छा काम करने की उम्मीद कर रहे हैं, ताकि यह साबित किया जा सके कि आईएनएस शिशुमार भारतीय नौसेना के लिए एक बहुत ही सक्षम पनडुब्बी साबित बनी रहे.
उन्होंने कहा कि एमडीएल के कर्मचारियों के कौशल के आधार पर हम शिशुमार वर्ग की सबमरीन को भारतीय नौसेना के समक्ष एक शानदार रूप में पेश करेंगे. इससे भारतीय नौसेना की ताकत में काफी इजाफा होगा.
Thyssenkrupp के प्रबंध निदेशक डॉ. गुरनाद सोढ़ी ने बताया कि यह अनुबंध एक बार फिर देश के लिए हमारी प्रतिबद्धता दोहराता है और यह 'मेक इन इंडिया' रक्षा कार्यक्रम में एक और मील का पत्थर है.
इसके बाद भारतीय नौसेना एचडीडब्ल्यू क्लास (HDW Class) की अन्य तीन सबमरीन टाइप-209 और टाइप-1500, जिनको 1986 तथा 1994 में कमीशंड किया गया था, को भी फिर से विकसित करने पर विचार कर रही है.
इनमें से दो सबमरीन की आपूर्ति thyssenkrupp द्वारा की गई थी और इन्हें हॉवर्ड्सवर्के-ड्यूश वेरफ़्ट (एचडीडब्लू) द्वारा तैयार किया गया था, जबकि तीसरी और चौथी सबमरीन को मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड द्वारा (टीओटी) तैयार किया गया था. ये भारत में बनने वाली पहली सबमरीन थीं.