डेलॉइट की इस पहल के चलते 69% घटी पराली जलने की घटना, 2400 लोगों की बचाई जान!
Stubble Burning: हर साल त्योहारों का सीजन उत्तर भारत में भारी प्रदूषण और आसमान में धुएं और स्मॉग आता है. डेलॉइट सबसे बेहतर तरीके से इससे जुड़ी चुनौतियों को कम करने का प्रयास कर रही है.
Stubble Burning: हर साल त्योहारों का सीजन उत्तर भारत में भारी प्रदूषण और आसमान में धुएं और स्मॉग आता है. डेलॉइट सबसे बेहतर तरीके से इससे जुड़ी चुनौतियों को कम करने का प्रयास कर रही है. हरियाणा सरकार ने डेलॉइट के समर्थन से, पिछले साल पायलट के तौर पर करनाल के 6 गांवों-अम्बाला, फतेहाबाद, हिसार, जिंद, कैथल, कमल, कुरुक्षेत्र, सिरसा, यमुनानगर में सफल फसल अवशेष प्रबंधन कार्यक्रम को लागू किया, जहां हमारे हस्तक्षेप से पराली जलाने की घटनाओं में 69 प्रतिशत की कमी आई. इससे सीधे तौर पर 2,400 लोगों की जान बचाई गई.
हरियाणा के 9 जिलों में चलाया गया कार्यक्रम इस वर्ष, चालू फसल सीजन (सितंबर-नवंबर 2023) के दौरान कार्यक्रम को हरियाणा के 9 जिलों के सबसे गंभीर रूप से प्रभावित 666 गांवों में लागू किया गया है जो बीते साल की तुलना में 11 गुनी बढ़ोतरी है. खास बात ये है कि इन गांवों की वर्ष 2022 में फसल सीजन के दौरान सक्रिय रूप से आग लगाए जाने वाले कुल स्थानों में 91 प्रतिशत हिस्सेदारी रही थी. इन गांवों में 1.2 मिलियन एकड़ क्षेत्रफल के साथ लगभग 1.50 लाख किसान रहते हैं. 67,500 से ज्यादा किसानों से किया संपर्क डेलॉइट के जागरूकता और आउटरीच कार्यक्रम में 9 जिलों में 300 से ज्यादा आईईसी शिविरों/ कार्यक्रमों का आयोजन, डोर टू डोर अभियानों के माध्यम से 67,500 से ज्यादा किसानों से संपर्क करना, लक्षित संदेशों से युक्त 15,000 से ज्यादा आईईसी किट का वितरण, डेलॉइट द्वारा प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से तैयार गाने का इस्तेमाल करते हुए व्यापक रेडियो अभियान, 1.5 लाख से अधिक किसानों को एनिमेटेड वीडियो कहानियां व्हाट्सऐप पर भेजना और ऑडियो विजुअल कंटेंट के माध्यम से जागरूकता का प्रसार कर रही पीए सिस्टम और डिजिटल स्क्रीन से युक्त वैन शामिल हैं. किसानों को डोनेट किए गए ट्रैक्टर और बेलर डेलॉइट ने उपकरण सेट (उच्च क्षमता वाले ट्रैक्टर और बेलर आदि) भी डोनेट किए. करनाल जिला आयुक्त का अनुमान है कि इन उपकरणों से सीधे 150 श्रमिकों को रोजगार मिला है और पानीपत में आईओसीएल के इथेनॉल संयंत्र के लिए आवश्यक 20 प्रतिशत पराली तैयार की गई. एक मोबाइल एप्लीकेशन - कृषि यंत्र साथी (किसानों के लिए उपकरण साझा करने के लिए उबर जैसा मंच) को 9 जिलों के 666 गांवों में पेश किया गया है, जिस पर अभी तक 1.5 लाख से अधिक किसान और 5,436 उपकरण मालिक पंजीकृत हो चुके हैं. इस पर 61 प्रतिशत किसानों ने बुकिंग अनुरोध प्रस्तुत किए हैं (जिनमें से 43 प्रतिशत छोटे और सीमांत किसान हैं) और लगभग 5.7 लाख एकड़ भूमि में निकासी की सुविधा प्रदान की गई है। यह कुल क्षेत्र का 50 प्रतिशत हिस्सा है. कई नए मॉडल लागू किए गए पराली के आगे के लिंकेज के लिए, जैव-ऊर्जा संयंत्रों, इथेनॉल उत्पादन, ईंट उत्पादन, पेपर मिलों और रसायनों जैसे अन्य क्षेत्रों में अंतिम उपयोगकर्ता उद्योगों के साथ उपकरण मालिकों के जुड़ाव की सुविधा के अलावा, गौशालाओं के साथ गठजोड़ जैसे नए मॉडल लागू किए गए हैं. 30 नवंबर, 2023 तक इस कार्यक्रम के विस्तार के आंकड़े खासे उत्साहजनक रहे हैं. इस प्रकार, 2022 की तुलना में 9 जिलों में सक्रिय रूप से आग लगाने के स्थानों में 33 प्रतिशत की कमी आई है. हालांकि, 666 गांवों में इसका असर ज्यादा प्रभावशाली रहा है, जहां 2022 की तुलना में इसमें 54 प्रतिशत की कमी आई है. आग लगाने के मामलों में कमी के माध्यम से, हमने सीओ2 उत्सर्जन को 5 लाख टन तक कम कर दिया है और अनुमान लगाया है कि इससे कम से कम 5,500 लोगों की जिंदगी बचेगी और किसानों की आय में 60 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी होगी.