Essar Steel के अधिग्रहण के लिए आर्सेलरमित्तल को चुनने के कर्जदाता समिति (सीओसी) के फैसले के खिलाफ स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक (एससीबी) ने राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) का दरवाजा खटखटाया है. बैंक ने कहा कि यह फैसला "अवैध" है और उसके दावे पर विचार किया बिना लिया गया है. बैंक ने एनसीएलटी के समक्ष याचिका दाखिल करते हुए दावा किया कि आर्सेलरमित्तल के 42,000 करोड़ रुपये की संशोधित बोली को सीओसी ने कभी नहीं माना था. एस्सार स्टील कर्जदाताओं की समिति में स्टैंडर्ड चार्टर्ड की 7.5 प्रतिशत से अधिक योगदान है.

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एस्सार स्टील को ऋण देने वालों में स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक भी शामिल है. एस्सार पर 49,395 करोड़ रुपये बकाया है जिसके चलते ऋणदाता कंपनी की नीलामी कर रहे हैं. स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक ने एस्सार स्टील को 2,646 करोड़ रुपये (मूलधन) दिया था लेकिन कर्जदाताओं की समिति ने नीलामी से होने वाली आय से उसे केवल 60.71 करोड़ रुपये का भुगतान करना स्वीकार किया है.

बैंक ने याचिका में कहा कि जिस तरह से 22 अक्टूबर को सीवीसी की 21वीं बैठक आयोजित की गयी है और 24 तथा 25 अक्टूबर को प्रस्ताव पर मतदान करके उसे मूंजरी देने का तरीका दोषपूर्ण, अवैध और अपारदर्शी है. यह फैसला आर्सेलरमित्तल की संशोधित समाधान योजना के बारे में सूचित करने के बैंक के अधिकार को दरकिनार करके लिया गया है.

स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक चाहता है कि 24-25 अक्टूबर को एस्सार स्टील के 92 प्रतिशत कर्जदाताओं द्वारा मतदान करके आर्सेलरमित्तल के पक्ष में दिए गए फैसले को रद्द किया जाये. वह चाहता है कि आर्सेलरमित्तल की समाधान योजना को खारिज किया जाए और अगर उसे ही माना जाता है तो 42,000 करोड़ रुपये की मिलने वाली राशि को सभी वित्तीय लेनदारों के बीच आनुपातिक आधार पर वितरित की जाएगी.

इससे पहले, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी गेल इंडिया और गुजरात की गुजरात एनर्जी ट्रांसमिशन कारपोरेशन (गेटको) ने भी एस्सार स्टील के अधिग्रहण के लिये आर्सेलर मित्तल की योजना को खारिज करने की मांग करते हुये एनसीएलटी का दरवाजा खटखटाया है.

एस्सार स्टील के वित्तीय ऋणदाताओं (बैंकों और वित्तीय संस्थाओं) ने कर्ज बोझ से दबी इस कंपनी के अधिग्रहण को करीब 42,000 करोड़ रुपये में खरीदने के आर्सेलरमित्तल के प्रस्ताव को पिछले महीने स्वीकार कर लिया. एस्सार स्टील पर बैंकों का कुल बकाया 49,395 करोड़ रुपये है जबकि आर्सेलरमित्तल ने 41,987 करोड़ रुपये का भुगतान करने की बोली लगाई.

दो दर्जन से अधिक परिचालनगत ऋणदाताओँ ने एनसीएलटी की अहमदाबाद पीठ में याचिका लगायी है. वह चाहते हैं कि आर्सेलरमित्तल परिचालन कर्जदाताओँ के पूरे बकाये का भुगतान करे या फिर एस्सार स्टील की प्रवर्तक कंपनी एस्सार स्टील एशिया होल्डिंग्स के 54,389 करोड़ रुपये के प्रस्ताव को मंजूर किया जाए. इस मामले में आर्सेलरमित्तल के प्रवक्ता की ओर से कोई टिप्पणी नहीं मिली है.

स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक ने कहा कि आर्सेलरमित्तल के 42,000 करोड़ रुपये के समाधान योजना समेत कर्जदाताओं के वितरण की व्यवस्था के मुद्दे को बैठक में नहीं रखा गया था. बैंक ने कहा कि संशोधित समाधान योजना पर सीओसी की बैठक में कभी चर्चा नहीं हुयी क्योंकि 23 अक्टूबर या उसके बाद कोई सामाधान योजना प्राप्त नहीं हुई थी.

उसने कर्जदाता की समिति पर भेदभावपूर्ण तरीके से काम करने का आरोप लगाय. जिन्होंने आर्सेलरमित्तल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ बातचीत करने के लिये अवैध तरीके से सीओसी की कोर-समिति गठित की, जो कि दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता सहिंता के दायरे से बाहर है. इस कोर-समिति में भारतीय स्टेट बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, आईडीबीआई बैंक और एडलवेइस एआरसी शामिल हैं.

बैंक ने कहा कि कोर समिति के सदस्यों ने स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक को 60.71 करोड़ रुपये देने की सिफारिश की है जबकि उसने 3,487.09 करोड़ रुपये (ब्याज सहित) का दावा किया था. यह उसके दावे का मात्र 1.47 प्रतिशत है.