90 और 2000 के दशक में देश में सहारा परिवार एक बड़ा साम्राज्य हुआ करता था. जब आप कहते थे- सहारा परिवार तो आप किसी एक परिवार, एक समुदाय की बात नहीं कर रहे होते थे, आप उस एक संस्था को संबोधित कर रहे होते थे, जो फाइनेंस, मीडिया, रियल एस्टेट, होटेलियरिंग में एक बड़ा बिजनेस साम्राज्य हुआ करता था. एक 'कॉरपोरेट परिवार', जिसकी शाखाएं अलग-अलग उद्योगों, उद्यमों में फैली हुई थीं. और इस सबका केंद्रबिंदु था एक शख्स- सुब्रत रॉय. सु्ब्रत रॉय ने सहारा परिवार खड़ा किया था. शुरुआत तो उन्होंने एक छोटी चिटफंड कंपनी से की थी, लेकिन आने वाले सालों में ये सहारा परिवार बना और फिर सहारा परिवार एक ब्रांड बन गया. लेकिन उनकी कहानी अर्श से फर्श वाली है.

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लेकिन पहले.....

सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय का मंगलवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. वो 75 वर्ष के थे. हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज से कुछ वक्त से जूझ रहे थे और मंगलवार को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया. उनके जाने के साथ ही सहारा ग्रुप की सबसे बड़ी पहचान चली गई है.

रॉय ने खुदरा, रियल एस्टेट और वित्तीय सेवा क्षेत्रों में एक विशाल व्यापारिक साम्राज्य खड़ा किया. हालांकि वह एक बड़े विवाद के केंद्र में भी रहे और उन्हें अपने समूह की कंपनियों के संबंध में कई नियामक और कानूनी लड़ाइयों का सामना करना पड़ा, जिन पर बहु-स्तरीय विपणन योजनाएं बनाने के लिए नियमों को दरकिनार करने का आरोप लगाया गया था.

कैसा रहा सुब्रत रॉय का सफर?

सुब्रत रॉय बिहार के अररिया के थे. उन्होंने गोरखपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी. बिजनेस में वो 1976 में एक चिटफंड कंपनी सहारा फाइनेंस का अधिग्रहण करने के बाद से घुसे. अगले दो सालों में उन्होंने इसे सहारा इंडिया परिवार में बदल दिया. उन्होंने फाइनेंस से शुरू किया, लेकिन यहीं नहीं रुके. इसके बाद उन्हें रियल एस्टेट, मीडिया और होटल के बिजनेस में भी पैर रखा और अपने लिए अलग जगह बनाई. उन्होंने सहारा वन टीवी चैनल, राष्ट्रीय सहारा समाचार पत्र तक चलाया, जो काफी टाइम तक चले भी. उन्होंने लंदन और न्यूयॉर्क जैसे शहरों में प्रतिष्ठित होटलों का अधिग्रहण किया. उन्होंने रियल एस्टेट और हाउसिंग कॉरपोरेशन भी खोले थे. वो अपने करियर के चरम पर पहुंचे.

भारत के दूसरे सबसे बड़े इंप्लॉयर"

एक वक्त था जब TIME मैगजीन ने उन्हें भारत में दूसरी सबसे ज्यादा नौकरी देने वाली कंपनी बताया था. उनके पहले भारतीय रेलवे का नाम था. इसमें कहा गया था कि सहारा ग्रुप में लगभग 12 लाख लोग जुड़े हुए हैं और ग्रुप के पास 9 करोड़ से अधिक निवेशक हैं.

आजमाया और जीते

सुब्रत रॉय अलग-अलग बिजनेस में पैर रखने के अलावा भी कई क्षेत्रों में नजर आई. कभी क्रिकेट की टीम इंडिया की जर्सी पर बड़ा सा सहारा का लोगो दिखाई देता था. सहारा ग्रुप ने टीम इंडिया स्पॉन्सर किया था. इसके अलावा, सुब्रत रॉय Formula One Racing Team- Force India- के हिस्सेदार भी रहे. 

सहारा ग्रुप ने महाराष्ट्र के पुणे में Ambey Valley City नाम का इलाका बसाया, जिसमें लग्जूरियस बंग्लो बनाए गए. सह्याद्रि की पहाड़ियों में 2006 में इसकी बसावट की शुरुआत की गई थी. इसे पांच चरणों में बसाया गया था, यहां 5 करोड़ से लेकर 20 करोड़ तक के भव्य बंग्ले बनाए गए हैं.

लेकिन विवादों के नाम रहे जीवन के आखिरी साल

सुब्रत रॉय का नाम पिछले कुछ सालों में बस आरोपों और विवादों के साथ ही जुड़ा रहा. बड़ा विवाद सहारा निवेशकों के पैसे फंसने का था. सहारा ने कई तरह की स्कीम्स चलाई थीं, जिनमें लाखों की संख्या में लोगों ने निवेश किया था और फिर कंपनी घाटे में गई और निवेशकों के पैसे नहीं लौटाए. सुब्रत रॉय पर निवेशकों को धोखा देने का आरोप लगा. मामला पटना हाईकोर्ट और भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. कोर्ट ने उन्हें निवेशकों के 20 हजार करोड़ रुपये ब्याज समेत लौटाने के आदेश दिए. 

सेबी के साथ फंसा हुआ है मामला

सेबी ने 2011 में सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एसआईआरईसीएल) और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एसएचआईसीएल) को निवेशकों से जुटाए गए धन को वापस करने का आदेश दिया था. नियामक ने फैसला दिया था कि दोनों कंपनियों ने उसके नियमों और विनियमों का उल्लंघन करके धन जुटाया था. उच्चतम न्यायालय ने 31 अगस्त 2012 को सेबी के निर्देशों को बरकरार रखा था, जिसमें दोनों कंपनियों को निवेशकों से लिए गए धन को 15 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस करने के लिए कहा गया था.

अंततः सहारा को निवेशकों को रिफंड के लिए सेबी के पास अनुमानित 24,000 करोड़ रुपये जमा करने के लिए कहा गया. सहारा ग्रुप की ओर से हमेशा इन आरोपों को खारिज किया जाता रहा है. कंपनी ने ये भी कहा है कि कोर्ट उसे दोहरा भुगतान करने को कह रहा है क्योंकि वो पहले ही 95 प्रतिशत निवेशकों को प्रत्यक्ष भुगतान कर चुका है. वर्तमान में सेबी के पास सहारा ग्रुप की ओर से जमा कराई गई 25 हजार करोड़ अवितरित राशि पड़ी हुई है.

जेल भेजे गए सुब्रत रॉय

सुब्रत रॉय को कथित धोखाधड़ी के केस में 4 मार्च, 2014 को जेल भेजा गया था. इसके बाद 6 मई 2016 को उनकी मां की मौत हो गई थी. उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए उन्हें पैरोल दी गई थी. बाद में ये पैरोल बढ़ा दी गई थी और वो जमानत पर ही चल रहे थे.