अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि, कृषि ऋण माफी और ग्रामीण व्यय में बढ़ोत्तरी के साथ ही आने वाले महीनों में ग्रामीण मांग में तेजी पकड़ने के आसार हैं. एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है. बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच की एक शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण मांग बढ़ रही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि निवेशकों को उपभोग आधारित कंपनियों में निवेश करना चाहिए.

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संस्था ने कहा, 'एमएसपी में इजाफा और कृषि ऋण माफी की बदौलत हम उम्मीद कर रहे हैं कि ग्रामीण मांग 2019 के आखिर तक गति पकड़ लेगी.' असामान्य मॉनसून की वजह से फसल की तुलना में उत्पादन की गति धीमी रह सकती है लेकिन न्यूतनम समर्थन मूल्य में वृद्धि से कृषि उत्पादों की कीमतों में इजाफा हो सकता है.

रिपोर्ट के मुताबिक इस वित्त वर्ष में बागवानी से भी आय में इजाफे की संभावना है. रिपोर्ट के मुताबिक इस साल अप्रैल से अगस्त के बीच फलों और सब्जियों के दाम में 5.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी, जिसमें पिछले साल 2.1 फीसदी की कमी आई थी. रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि सर्दियों में खरीफ फसलों की कटाई के समय किसानों की आय में 14.6 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण दबाव की वजह से हरियाणा, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे कई राज्यों में किसान आंदोलनों की शुरुआत हुई. उसके मुताबिक आने वाले महीनों में सरकार ग्रामीण व्यय में इजाफा कर सकती है. उसमें कहा गया है, 'हमें उम्मीद है कि आम चुनाव के नजदीक आने पर सभी राजनीतिक दल ग्रामीण व्यय में इजाफा करेंगे. सामान्य तौर पर कहें तो राजनीतिक अनिश्चितता से ग्रामीण मांग में मदद मिलती है क्योंकि मतदाताओं की बड़ी संख्या गांवों में ही रहती है.'

रिपोर्ट के अनुसार चुनाव नजदीक आर रहे हैं. इसे देखते हुए इस वित्त वर्ष में किसान रिण माफी बढ़ कर 40 अरब डालर तक पहुंच सकती है जो इस समय 25 अरब डालर है. इससे मांग तो बढ़ेगी पर इससे अंतत: ग्रामीण क्षेत्र में ऋण की संस्कृति पर प्रभाव पड़ेगा.

(एजेंसी इनपुट के साथ)