Reliance Capital: अनिल अंबानी की कंपनी को खरीदने के लिए लगेगी दूसरे दौर की बोली, लेंडर्स ने दी मंजूरी
Reliance Capital: सूत्रों के मुताबिक, 100 फीसदी लेंडर्स ने दूसरे दौर की बोली के प्रस्ताव पर हामी भरी है. इसके बाद अब पुरानी बोलियां मान्य नहीं होंगी. लेंडर्स ने दूसरे दौर की बोली के लिए रिजर्व प्राइस 9500 करोड़ रुपये तय की है, जिसमें 8800 करोड़ रुपये नकद और एकमुश्त देने की शर्त है.
Reliance Capital: रिलायंस कैपिटल को खरीदने के लिए दूसरे दौर की बोली लगना तय है. सूत्रों के मुताबिक, 100 फीसदी लेंडर्स (देनदार) ने दूसरे दौर की बोली के प्रस्ताव पर हामी भरी है. इसके बाद अब पुरानी बोलियां मान्य नहीं होंगी. बल्कि सभी योग्य बोली देने वाली इच्छुक कंपनियों को नए सिरे से बोली में हिस्सा लेना पड़ेगा. लेंडर्स ने दूसरे दौर की बोली के लिए रिजर्व प्राइस 9500 करोड़ रुपये तय की है, जिसमें 8800 करोड़ रुपये नकद और एकमुश्त देने की शर्त है. अब सभी को 9500 करोड़ रुपये के ऊपर ही बोली शुरू करनी होगी. उसमें भी बोली की रकम कम से कम 500 रुपये से बढ़ानी होगी. मतलब दूसरे दौर की पहली बोली ही कम से कम 10,000 करोड़ रुपये की लगानी होगी. उसके बाद के दौर की बोलियां कम से कम 250 करोड़ रुपये से बढ़ानी होगी.
इससे पहले सोमवार को Torrent Investments ने मुंबई NCLT में रिलायंस कैपिटल के एडमिनिस्ट्रेटर के खिलाफ अर्जी लगाई थी. अर्जी में तुरंत सुनवाई की मांग करते हुए दूसरे दौर की लेंडर्स (लेनदारों) की वोटिंग के प्रस्ताव पर स्टे की मांग थी. लेकिन मुंबई NCLT ने तुरंत सुनवाई से इनकार कर 12 जनवरी की तारीख तय कर दी.
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क्या है पूरा मामला?
दरअसलस पूरा मामला ये है कि रिलायंस कैपिटल के लिए पहले टोरेंट ने 8640 करोड़ रुपये की एकमुश्त नकद अदा करने की बोली दी थी, लेकिन बाद में हिंदुजा ग्रुप की कंपनी IIHL ने कुल 8,800 करोड़ रुपये एकमुश्त नकद और कुल मिलाकर 9500 करोड़ रु की बोली दी. टोरेंट की मंशा ये है कि लेंडर्स उसकी ही बोली को मंजूर करें और IIHL की बोली को दरकिनार कर दें. लेकिन लेंडर्स चाहते हैं कि बोलियों में रकम बढ़े ताकि उनका बकाया ज्यादा से ज्यादा वसूला जा सके.
दूसरे दौर की बोली में Cosmia Piramal और OakTree को भी बोली लगाने का मौका मिलेगा. बताया जा रहा है कि रिलायंस कैपिटल की लिक्विडेशन वैल्यू ही करीब 13,000 करोड़ रु आंकी गई है. इस लिहाज से बोलियों में आने वाली रकम काफी कम मानी जा रही है. लेंडर्स भी इसीलिए बोलियों का दौर बढ़ाना चाहते हैं ताकि रिकवरी बढ़े. LIC और EPFO का वोटिंग में अहम स्थान है. क्योंकि इन दोनों की ही वोटिंग में 35% हिस्सेदारी है. रिलायंस कैपिटल के लिए रिजॉल्यूशन प्लान पर अमल की मियाद 31 जनवरी है.
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