कोरोना महामारी (COVID19 Pandemic) के बीच रिजर्व बैंक (RBI) के एक फैसले से देश में कोविड मरीजों के लिए बेड की किल्‍लत कम हो सकती है. क्रेडिट रेटिंग एजेंसी Crisil का कहना है कि आरबीआई के 50,000 करोड़ रुपये की लिक्विडिटी विंडो से अस्पतालों में बेड कैपसिटी 20 फीसदी तक बढ़ सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें सस्‍ता कर्ज मिलेगा. रेटिंग एजेंसी के मुताबिक आरबीआई के इस फैसले से बैंक हेल्‍थकेयर इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर के लिए प्राइयारिटी लेंडिंग कर सकेंगी. यानी, सेक्‍टर को सस्‍ता, जल्‍द और आसान लोन मिल सकेगा जिससे इलाज क्षमता बढ़ने के साथ-साथ दवाइयों व मेडिकल इक्विपमेंट की उपलब्धता भी बढ़ेगी. 

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क्रिसिल का कहना है कि आरबीआई के इस फैसले का सबसे ज्‍यादा फायदा अस्‍पतालों को हो सकता है. कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने हमारे हेल्‍थ इंफ्रा की हकीकत सामने ला दी. क्षमता के मुताबिक कम ही लोगों को इलाज उपलब्ध हो पा रहा है. एक दिन में रिकॉर्ड 4 लाख नए केस सामने आ रहे हैं और 3500 से अधिक लोग अपनी जान गंवा रहे हैं. रिजर्व बैंक ने 5 मई को महामारी में इकोनॉमी को बूस्‍ट के लिए कई अहम एलान किए. 

हेल्थ सेक्टर को मार्च 2022 तक मिलेगा सस्‍ता कर्ज 

पीटीआई के मुताबिक, रेटिंग एजेंसी के एक नोट में कहा कि अस्पताल इस योजना के सबसे बड़े लाभार्थियों में से हो सकते हैं क्योंकि इस फडिंग से देश में अस्पताल की बेड क्षमता में 15-20 फीसदी का इजाफा हो सकता है. इस योजना के जरिए बैंकों से उम्मीद की जाती है कि वे कर्ज देने की मौजूदा दरों से कम दर पर हेल्‍थकेयर एक्टिविटीज के लिए कर्ज दें.

आरबीआई के एलान के मुताबिक हेल्थकेयर एक्टिविटीज के लिए बैंक 3 साल की अवधि का मार्च 2022 तक रेपो रेट पर कर्ज उपलब्ध करांगे. आरबीआई गाइडलाइंस के मुताबिक वैक्सीन व ड्रग्स बनाने वाली कंपनियों व सप्लायर्स, अस्पतालों, पैथोलॉजी लैब्स, ऑक्सीजन सप्लायर्स, इमरजेंसी मेडिकल इक्विपमेंट बनाने वाली कंपनियां, लॉजिस्टिक्स फर्म्स और कोरोना मरीजों को कम दरों पर कर्ज उपलब्ध होगा. फिलहाल अस्पताल को अपनी जरूरत के लिए 11 फीसदी की दर पर कर्ज मिलता है. नई स्‍कीम के तहत उनके कर्ज लेना 3.50  फीसदी तक सस्ता हो जाएगा. 

क्रिसिल के मुताबिक फार्मा सेक्टर की कंपनियाों को 8-8.5 फीसदी की दर पर पहले से ही लोन मिलता रहा है तो वे इस विंडों का इस्तेमाल कम करेंगी. इसके अलावा कोरोना से संबंधित दवाइयों की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए अधिक फंड  आवश्यकता भी नहीं है. रेटिंग एजेंसी का कहना है कि जो कंपनी वैक्सीन बना रही हैं, उन्हें पहली ही सरकार की तरफ से 5,0000 करोड़ की मदद मिल चुकी है. 

354 कंपनियां ले सकती हैं सस्‍ता कर्ज 

क्रिसिल के मुताबिक जिन कंपनियों की वह रेटिंग करती है, उसमें से 354 कंपनियां इस प्रकार का कर्ज ले सकती हैं और उन्हें 40 हजार करोड़ रुपये तक लोन मिल सकता है. क्रिसिल के मुताबिक इसमें से 68 फीसदी लोन फार्मा कंपनी और 24 फीसदी लोन अस्पताल ले सकती हैं.

क्रिसिल के मुख्य रेटिंग अधिकारी सुबोध राय के मुताबिक कम दरों पर फंड मिलने के चलते अस्पतालों में बिस्तर, ऑक्सीजन स्टोरेज, आईसीयू और क्रिटिकल मेडिकल इक्विपमेंट में बढ़ोतरी हो सकती है. राय के मुताबिक अगर 50 हजार करोड़ रुपये के विंडो का आधा भी यूटिलाइज कर हॉस्पिटल बेड्स बढ़ाए गए तो बिस्तरों की संख्या 15-20 फीसदी तक बढ़ सकती है.

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