Finolex Cables director issue: फिनोलेक्स केबल्स में कई कॉरपोरेट गवर्नेंस मुद्दों को लेकर बातचीत के बाद कंपनी की दो प्रॉक्सी एडवाइजर फर्मों ने शेयरहोल्डर्स को कंपनी के निदेशकों की नियुक्तियों को अस्वीकार करने को कहा है.

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प्रॉक्सी एडवाइडर फर्म स्टेकहोल्डर एम्पावरमेंट सर्विसेज (Stakeholder Empowerment Services-SES) और इनगवर्न रिसर्च (Ingovern Research) ने फिनोलेक्स केबल्स पर कंपनी एक्ट और सेबी नॉर्म्स के कई प्रोविजन का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है. फिनोलेक्स केबल्स ने दीपक छाबड़िया के चचेरे भाई प्रकाश छाबड़िया पर शेयरहोल्डर्स को भड़काने का आरोप लगाया है.

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दीपक छाबड़िया (Deepak Chhabria) की अध्यक्षता वाली फिनोलेक्स केबल्स की स्थापना 1958 में कराची से आए दो भाई प्रहलाद पी छाबड़िया और किशनदास पी छाबड़िया ने किया था. फिनोलेक्स ग्रुप में होल्डिंग फर्म ऑर्बिट इलेक्ट्रिकल्स, दीपक छाबड़िया की फिनोलेक्स केबल्स और प्रकाश छाबड़िया की फिनोलेक्स इंडस्ट्रीज है.

पुणे स्थित 7,500 करोड़ रुपये की फिनोलेक्स केबल्स इलेक्ट्रिकल और टेलीकॉम केबल बनाती है और यह फिनोलेक्स ग्रुप के प्रमुख कंपनी है. ऑर्बिट के पास फिनोलेक्स केबल्स में 30.7 फीसदी हिस्सेदारी है और फिनोलेक्स इंडस्ट्रीज की कंपनी में 14.5 फीसदी हिस्सेदारी है. 

डायरेक्टर्स की नियुक्ति को लेकर है विवाद

इन तीन कंपनियों में चार कॉमन डॉयरेक्टर हैं- दीपक छाबड़िया, उनके चचेरे भाई प्रकाश छाबड़िया, सुनील पाठक और संजय अशेर. कंपनी में हालिया विवाद डायरेक्टर्स की नियुक्ती को लेकर है.

प्रॉक्सी एडवाइजर कर रहे डायरेक्टर्स को हटाने की मांग

कंपनी बोर्ड ने 30 सितंबर, 2020 को पीआर बारपांडे, अविनाश श्रीधर खरे और फिरोजा फ्रेडून कपाड़िया को एडिशनल डायरेक्टर बनाया था. अब बोर्ड फिर से उन्हें डायरेक्टर के रूप में नियुक्त करने के लिए शेयरहोल्डर की अनुमति मांग कर रहा है. हालांकि कंपनी के AGM 3,4 और 5 के तहत उन्हें रोटेशन के तहत रिटायर करना चाहिए. इसके अलावा बोर्ड इन एडिशनल डायरेक्टर को रिजॉल्यूशन 8,9 और 10 के तहत पांच साल के लिए फिर से डायरेक्टर नियुक्त करने की मांग कर रहा है. जो उन्हें रोटेशन के तहत रिटायर होने से बचाता है.

प्रॉक्सी एडवाइजर SES ने कहा कि ये प्रस्ताव सेबी ने नॉर्म्स के खिलाफ है और कानूनी नियमों का उल्लंघन करते हैं.

प्रकाश छाबड़िया पर दर्ज है मुकदमें

गौरतलब है कि प्रकाश छाबड़िया पर दीपक छाबड़िया ने पहले ही दो आपराधिक मामले दर्ज कराया है. इसमें करोड़ो रुपये के गिफ्ट डीड से संबंधित मामलों में जालसाजी और बोर्ड ऑफ मीटिंग के फर्जी डॉक्यूमेंट बनाने से जुड़े मामले हैं,

कंपनी कर रहा नियमों की अनदेखी

SES ने कंपनी के शेयरहोल्डर से इन डायरेक्टर्स की नियुक्ति को खारिज करने के लिए कहा. उन्होंने कहा, "हमारा विचार है कि रिजॉल्यूशन 3,4 और 5 अनावश्यक हैं और अपने किसी भी उद्देश्य को पूरा नहीं करते हैं. कंपनी ने इन डायरेक्टर्स को रिजॉल्यूशन 8,9, और 10 के तहत एडिशनल डायरेक्टर बनाने का प्रस्ताव दिया है."

SES ने कहा कि कानून का यह इरादा कभी नहीं था कि एक इंडिपेंडेंट डायरेक्टर की स्वतंत्रता को भंग करने उसे डायरेक्टर बने रहना चाहिए. यह केवल शेयरहोल्डर्स का फैसला होना चाहिए.

कंपनी पर लगे हैं ये भी आरोप

इसके अलावा कंपनी पर शिशिर लाल के डॉयरेक्टशिप को इंडिपेंडेंट डायरेक्टर से नॉन-इंडिपेंडेंट डायरेक्टर बदलने के कारण का भी खुलासा नहीं करने का आरोप लगाया है. SES ने कहा कि इस तरह के फैसले बोर्ड में इंडिपेंडेंट डायरेक्टरर्स पर गंभीर सवाल उठाते हैं. 

प्रॉक्सी एडवाइजर्स ने कंपनी पर कंपनी एक्ट के सेक्शन 196 का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है और कंपनी पर खुलासे छुपाने के अलावा इन डायरेक्टर्स को नियुक्त करने के तरीके की भी आलोचना की है.