रजनी बेक्टर को भारत की 'आइसक्रीम लेडी' कहा जाता है. ये नाम उन्हें भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के जरिए मिला, जब 2005 में आउटस्टैंडिंग बिजनेस वुमन अवॉर्ड देते हुए उन्होंने रजनी से पूछा, 'ओह.... तो आप ही आइसक्रीम लेडी हैं'. रजनी, बेकरी-स्नैक्स और आइसक्रीम निर्माता कंपनी क्रीमिका की मैनेजिंग डायरेक्टर हैं. बेकरी और स्नैक्स का यह कारोबार उन्होंने महज 300 रुपए की पूंजी के साथ शुरू किया था. उनकी कंपनी मैक-डी सहित 15 बड़े ब्रांड्स को प्रोडक्ट सप्लाई करती है. अब कंपनी का कारोबार 700 करोड़ रुपए के पार पहुंच गया है. हम आपको बता रहे हैं कि किस तरह पाकिस्तान में जन्मी एक महिला ने भारत में इतना बड़ा कारोबार शुरू किया. 

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पाकिस्तान में जन्म हुआ, 17 साल की उम्र में हुई शादी

रजनी बेक्टर का जन्म पाकिस्तान के कराची में हुआ था. जन्म के समय रजनी के पिता सरकारी नौकरी में थे, जो विभाजन के बाद दिल्ली आ गए. साल 1957 में महज 17 साल की उम्र में उनका विवाह लुधियाना के एक व्यवसायी के साथ हो गया. रजनी ने स्नातक की पढ़ाई शादी के बाद की. इसके बाद उन्होंने अपने खाना बनाने के शौक को पूरा करने के लिए पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से बेकिंग का कोर्स किया.

इस तरह फेमस हुए कुकीज

रजनी बेक्टर को केक, कुकीज और आइसक्रीम बनाने का शौक था. वह अपने घर आने वालों को नए-नए तरह के कुकीज खिलाती थीं. जल्द ही उनके बनाए केक, कुकीज और आइसक्रीम मिलने वालों में मशहूर हो गए. इसके बाद उन्होंने स्थानीय मेलों में स्टॉल लगाकर इन प्रोडक्ट्स को बेचना शुरू कर दिया. बस यहीं से रजनी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. रजनी के बनाए स्नैक्स, खासकर आइसक्रीम को लोगों ने बहुत पसंद किया. धीरे-धीरे उन्हें कैटरिंग के ऑफर भी मिलने लगे. इसके बाद उन्होंने दिल्ली से 300 रुपए के इक्विपमेंट खरीदे और किचन से ही केक, कुकीज और आइसक्रीम बनाने का बिजनेस शुरू कर दिया.

कम पैसे में बेचती थीं बेहतर प्रोडक्ट

रजनी ने इस काम को शुरू तो कर दिया, लेकिन काफी दिन तक घाटा उठाना पड़ा. वह अच्छी क्वॉलिटी का सामान कम से कम कीमत पर तैयार करके देंती थीं. ऐसे में अधिकतर प्रोडक्ट्स बेचने में उन्हें घाटा उठाना पड़ता था. इसके बाद उनके पति ने उनके काम में मदद की और पूरी तरह इसे स्टैबलिश बिजनेस का रूप दे दिया.

कंपनी का नाम रखा क्रीमिका

इसके बाद साल 1978 में रजनी ने 20 हजार रुपए का इन्वेस्टमेंट करके घर के गैराज में एक छोटी सी आइसक्रीम यूनिट लगाई. इस यूनिट को लगाने के बाद वह बड़े-बड़े ऑर्डर भी लेने लगीं. यहीं से उनकी कंपनी का नाम भी तय हुआ. दरअसल, वह अधिकतर चीजों में क्रीम का इस्तेमाल न के बराबर करती थीं. इसलिए कंपनी का 'क्रेमिका' रखा गया. 

बिस्किट बनाने की यूनिट खोली

आइसक्रीम को मिली सफलता के बाद उन्होंने लुधियाना में, जीटी रोड पर खाली पड़े एक पुश्तैनी जगह पर ब्रेड और बिस्किट बनाने की भी यूनिट खोल ली. इस काम के लिए उन्होंने बैंक से लोन लिया और दिल्ली से इक्पिवमेंट खरीदे. 1990 का समय पंजाब के लिए अच्छा नहीं था. आतंकवाद अपने चरम पर था, जिसके कारण उनके पति का बिजनेस सिमटने लगा. फिर उनके पति ने भी क्रीमिका का काम संभाल लिया. हालांकि, इस बीच कंपनी का टर्नओवर 5 करोड़ रुपए पहुंच गया. इतना ही नहीं रजनी के तीन बेटे भी पढ़ाई करने के बाद कंपनी का काम संभाल रहे हैं.

मैक-डी समेत 15 ब्रांड्स को सप्लाई होते हैं प्रोडक्ट

परिवार की मदद से साल 1995 तक उनकी कंपनी का टर्नओवर 20 करोड़ तक पहुंच गया. 1995 में इंडियन मार्केट में खाने-पीने के विदेशी ब्रांड आने लगे, वस यहीं से उनकी कंपनी की किस्मत खुल गई. 1995 में मैकडॉनल्ड भारतीय बाजार में आया. मैकडॉनल्ड को भी कुछ चीजों के लिए लोकल सप्लायर्स की जरूरत थी. इसके बाद क्रीमिका और मैकडॉनल्ड में, ब्रेड और टमाटर की सॉस सप्लाई करने के लिए करार हुआ. अब उनकी कंपनी करीब 18 प्रोडक्ट तैयार करती है. इसके साथ ही 15 ब्रांड्स में यह प्रोडक्ट सप्लाई होते हैं.

कई जगह हैं प्लांट

क्रीमिका के वर्तमान में पंजाब के अलावा, मुंबई और ग्रेटर नोएडा में भी प्लांट हैं. रजनी की कंपनी का टर्नओवर मौजूदा समय में करीब 700 करोड़ रुपए का है. साथ ही कंपनी में करीब 4000 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं. 

मिले कई पुरस्कार

बिजनेस के लिए दिए गए योगदान को लेकर रजनी को राष्ट्रीय और अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार मिले हैं. साल 2005 में देश के तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने उन्हें आउटस्टैंडिंग बिजनेस वुमन अवॉर्ड दिया. इसी समय अब्दुल कलाम साहब ने उनसे पूछा था, 'ओह.... तो आप ही आइसक्रीम लेडी हैं.'