निकेल में रिकॉर्डतोड़ तेजी, आपके लिए इलेक्ट्रिक कार खरीदना हो सकता है महंगा
रूस-यूक्रेन युद्ध का असर निकेल की कीमतों पर पड़ रहा है. रूस निकेल का सबसे बड़ा प्रोड्यूसर है. LME पर दो दिन में निकेल में 250 फीसदी की तेजी आई. अप्रत्याशित तेजी के चलते एक्सचेंज ने निकेल में ट्रेडिंग सस्पेंड कर दी.
Nickel Price Hike: रूस-यूक्रेन का असर न केवल क्रूड की महंगाई पर पड़ रहा है, बल्कि निकेल, लीथियम और अन्य मेटल पर भी देखा जा रहा है. इस जियोपॉलिटिकल टेंशन के चलते निकेल में ऐतिहासिक तेजी दर्ज की गई. बीते दो दिन में निकेल के भाव 250 फीसदी से ज्यादा उछल गए. निकेल में अप्रत्याशित तेजी के चलते लंदन मेटल एक्सचेंज (LME) ने ट्रेडिंग सस्पेंड कर दी है. मंगलवार लंदन निकेल के भाव पहली बार 1 लाख डॉलर प्रति टन के पार पहुंच गए. रूस निकेल का तीसरा सबसे बड़ा प्रोड्यूसर है और युद्ध के चलते वहां से सप्लाई घटी है. निकेल की तेजी का असर कार मैन्युफैक्चरर खासकर इलेक्ट्रिक व्हीकल बनाने वाली कंपनियों पर पड़ सकता है. निकेल की सबसे ज्यादा डिमांड स्टैनलेस स्टील और इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) में है.
निकेल की कहां कितनी डिमांड
रूस दुनिया का एक बड़ा निकेल प्रोड्यूसर देश है. वहीं, निकेल के बड़े उत्पादक देश इंडोनेशिया में भी उत्पादन घटा घटा है. रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते सप्लाई पर बुरी तरह असर देखा जा रहा है. ग्लोबल मार्केट में रूस से 6 फीसदी निकेल की सप्लाई होती है. निकेल की सबसे ज्यादा डिमांड करीब 70 फीसदी स्टेनलेस स्टील में होता है.
इसके बाद, 7 फीसदी डिमांड मांग इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बैटरी बनाने के लिए है. EV बैटरी में प्योर निकेल का इस्तेमाल होता है. रूस की MMC Norlisk अकेले 17 फीसदी प्योर निकेल का उत्पादन करती है. ऐसे में निकेल का दाम बढ़ने का सीधा असर EV कार मैन्युफैक्चरर पर हो सकता है. इसके अलावा, अलॉयज में करीब 16 फीसदी निकेल का इस्तेमाल किया जाता है. पिछले साल अप्रैल से अब तक LME पर स्टॉक 70 फीसदी घटा है. LME स्टॉक 77,000 टन के करीब है. जबकि, अनुमानित मांग 30 लाख टन है.
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EV बैटरीज की लागत बढ़ेगी!
केडिया कमोडिटीज के डायरेक्टर अजय केडिया का कहना है, यूएस जियोलॉजिकल सर्वे के मुताबिक रूस दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा निकेल प्रोड्यूसर है. इसमें दो-तिहाई निकेल स्टेनलेस स्टील बनाने में इस्तेमाल होता है. इसके अलावा, इलेक्ट्रिकस व्हीकल्स में बैटरीज के लिए तेजी से बढ़ रहे मार्केट के लिए एक मुख्य कम्पोनेट हैं. निकेल की बढ़ती कीमतों के चलते बैटरीज की लागत बढ़ सकती है. पहले बैटरीज की लागत कम हो रही थी, लेकिन अब इनमें रिसर्व ट्रेंड देखने को मिल रहा है. EVs में सबसे महंगा पार्ट बैटरीज है. ऐसे में कीमतें बढ़ने का विपरीत असर ईवी डिमांड पर हो सकता है. ऑटोमोबाइल सेक्टर में टेक्नोलॉजी को लेकर जो उत्साह देखा जा रहा है, लागत बढ़ने से उसको झटका लग सकता है.
LME पर निकेल में 2 दिन में 250% तेजी
लंदन मेटल एक्सचेंज ने अपने निकेल मार्केट में अप्रत्याशित तेजी के बाद ट्रेडिंग रोक दी. बीते दो दिन में निकेल के भाव 250 फीसदी से ज्यादा उछलकर पहली बार $100,000 प्रति टन के पार पहुंच गए. मंगलवार को MCX पर निकेल का भाव 40 फीसदी से ज्यादा उछलकर 5,275 रुपये पर चला गया.