फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रवर्तक शिविंदर मोहन सिंह और उनके बड़े भाई मलविंदर सिंह के बीच सुलह हो गई है. यह सुलह उनकी मां ने कराई है. शिविंदर सिंह ने कहा कि हमारी मां ने दोनों भाइयों से परिवार के बड़ों की मध्यस्थता में यह मामला सुलझाने को कहा है. इसलिए वह राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) में अपने बड़े भाई मलविंदर सिंह और रेलिगेयर के पूर्व प्रमुख सुनील गोधवानी के खिलाफ याचिका वापस ले रहे हैं और एनसीएलटी ने उन्‍हें इसकी इजाजत दे दी है. शिविंदर ने इस बारे में एनसीएलटी में आवेदन किया था. 

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बड़े भाई पर लगाया था आरोप

शिविंदर ने इससे पहले आरोप लगाया था कि उनके बड़े भाई तथा गोधवानी की गतिविधियों की वजह से कंपनियों तथा उनके शेयरधारकों का हित प्रभावित हुआ है. शिविंदर मोहन सिंह ने पीटीआई भाषा से कहा, 'मैंने एनसीएलटी में याचिका वापस लेने के लिए आवेदन कर दिया है.' उन्होंने बताया, 'मध्यस्थता की प्रक्रिया शुरू की गई है. यदि इससे बात नहीं बनती है तो मेरे पास अपील दोबारा दायर करने का विकल्प होगा.'

अब घर पर सुलझाएंगे झगड़ा

आवेदन में कहा गया है कि मां के सम्मान की वजह से दोनों पक्षों ने मध्यस्थता की प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी है. शिविंदर की वकील रंजना आर गवई ने कहा कि यह याचिका अभी तक वापस नहीं ली गई है लेकिन इसे वापस लिया जा रहा है. शिविंदर की बीमार मां चाहती हैं कि इस मामले को मध्यस्थता के जरिये घरेलू मंच पर ही सुलझाया जाए. शिविंदर की पहले की याचिका पर अंतरिम आदेश जारी करते हुए एनसीएलटी की प्रधान पीठ ने छह सितंबर को आरएचसी होल्डिंग की शेयरधारिता तथा संरचना के मामले में यथास्थिति कायम रखने को कहा था. 

दिल्‍ली हाईकोर्ट ने लगाया था जुर्माना

इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने रैनबैक्सी लैबोरेट्रीज लिमिटेड के पूर्व प्रवर्तक मलविंदर सिंह को अदालती आदेश के उल्लंघन के लिए 35 लाख सिंगापुरी डॉलर जमा कराने का निर्देश दिया था. मलविंदर ने यह राशि एक कंपनी में अपने शेयर बेचकर प्राप्त की थी, जो अदालत के आदेश का उल्लंघन है. न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने कहा था कि निश्चित रूप से यह अदालत के पिछले आदेश का उल्लंघन है. उच्च न्यायालय ने मलविंदर और उनके भाई शिविंदर सिंह को अपनी संपत्तियों की बिक्री नहीं करने का निर्देश दिया था.