यूरोप में मणिपुरी ब्लैक राइस 'चाक हाओ' का धमाल, 1MT सप्लाइ का कंसान्मेंट रवाना, जानें इस काले चावल की खूबियां
चाक हाओ ब्लैक राइस को बीते मई महीने में ही GI टैग मिला था
यूरोप इन दिनों हमारे मणिपुरी ब्लैक राइस का मुरीद हो चला है. इस सुगंधित पहाड़ी ब्लैक राइस की डिमांड यूपीय देशों के अलावा देश के अलग अलग हिस्सों में भी जमकर हो ही है. यही वजह है कि यूपोर से 1 मिट्रिक टन ब्लैक राइस के इम्पोर्ट का ऑर्डर मिला. इस कंसाइन्मेंट को मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया.
क्या है खास इस चावल में
मणिपुर की इस ब्लैक राइस को वहां की स्थानीय भाषा में चाक हाओ कहा जाता है. प्रदेश में इस चावल की खेती तकरीबन 45,000 हेक्टर में की जाती है. बीते मई महीने इस चावल की जियोग्रैफिकल इंडिकेशन टैग मिला था. इसके बाद सीधे एक मिट्रिक टन के ऑर्डर को मणिपुर की राजधानी इम्फाल से यूरोप के लिए रवाना किया गया.
मिनिरल विटामिन से भरपूर
चाक हाओ राइस मणिपुर में सदियों से पैदा किया जाता है. इसमें विटामिन से लेकर कई मिनिरल्स पाए जाते हैं. यही नहीं ये ग्लुटन यानी वसा मुक्त होता है. इसका काला रंग इसके एंथोसायनिन पिगमेंट का नतीजा है जो इसे एंटी ऑक्सीडेंट खूबियां देते हैं. आम तौर पर चाक हाओ को मेडिसिनल यूज यानी दवा के तौर पर इस्तेमाल में लाया जाता है. ये प्रति किलो 100 से 120 रुपए तक बिकता है.
तीन विभागों की मेहनत
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने इस उपलब्धि पीछे सभी विभागों और केंद्र में मोदी सरकार के प्रयासों का योगदान माना. इस चावल को GIटैग दिलाने के पीछे नॉर्थ ईस्टर्न रीजनल एग्रिकल्चरल मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड(NERAMAC), मिशन ऑर्गेनिक वैल्यु टेन डेवलपमेंट(कृषि) और मणिपुर कृषि विभाग ने पहल की थी. NERAMAC बीते 1982 से किसानों और बाजार के बीच के फसलों के दामों के अंतर को कम करने के लिए लगातार कोशिशें करते रहती है.
Zee Business Hindi Live यहां देखें
<iframe width="560" height="350" src="https://embed.zeebiz.com/hindi/live-tv/embed" frameborder="0" allow="accelerometer; autoplay; encrypted-media; gyroscope; picture-in-picture" allowfullscreen></iframe>