Mahadev App Scam में फंसा Dabur ग्रुप इस कंपनी के अधिग्रहण की कोशिश में, FIR दर्ज होने पर लगाया ये आरोप
बर्मन परिवार ने एक बयान में कहा कि ‘‘यह एफआईआर (प्राथमिकी) कुछ और नहीं बल्कि बर्मन परिवार के रेलिगेयर एंटरप्राइजेज के अधिग्रहण को रोकने का प्रयास है. यह निहित स्वार्थी तत्वों का किया कराया है.’’
डाबर के प्रवर्तक बर्मन परिवार ने मंगलवार को आरोप लगाया कि कुछ निहित स्वार्थी तत्व रेलिगेयर एंटरप्राइजेज में हिस्सेदारी के अधिग्रहण को रोकने का प्रयास कर रहे हैं. अपने दो वरिष्ठ सदस्यों के खिलाफ करोड़ों रुपये के महादेव ऐप प्रकरण में मामला दर्ज होने के बाद परिवार ने यही बात कही है.
मोहित बर्मन और गौरव बर्मन समेत 32 लोगों के खिलाफ केस
बर्मन परिवार ने एक बयान में कहा कि वह ‘हाथ मरोड़ने’ वाले कदम से चकित है. उसने मामले में किसी भी तरह से भी शामिल होने से इनकार किया है. बयान में कहा गया है, ‘‘यह एफआईआर (प्राथमिकी) कुछ और नहीं बल्कि बर्मन परिवार के रेलिगेयर एंटरप्राइजेज के अधिग्रहण को रोकने का प्रयास है. यह निहित स्वार्थी तत्वों का किया कराया है.’’
शहर की पुलिस ने सात नवंबर को मामले में एफआईआर दर्ज की थी. इसमें डाबर के मोहित बर्मन और गौरव बर्मन समेत 32 लोगों को आरोपी बनाया गया है. पुलिस ने कहा कि सट्टेबाजी से जुड़े ऐप ने 2019 से अब तक लोगों को 15,000 करोड़ रुपये का चूना लगाया है.
क्या कहना है बर्मन परिवार का?
बर्मन परिवार ने बयान में कहा कि प्राथमिकी को चुनिंदा तरीके से मीडिया में प्रसारित किया जा रहा है. मोहित और गौरव दोनों मामले में जिस आरोपी का जिक्र है, उसे नहीं जानते हैं. बयान में कहा गया है, ‘‘दिलचस्प बात यह है कि प्राथमिकी ऐसे समय दर्ज करायी गयी है, जब बर्मन परिवार रेलिगेयर एंटरप्राइजेज में अपनी मौजूदा 21.24 प्रतिशत हिस्सेदारी बढ़ाने के लिये कदम उठा रहा है. उसने सेबी अधिग्रहण संहिता के तहत पूरी तरह से वैध खुली पेशकश शुरू की है.’’
प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए बर्मन परिवार रेलिगेयर में कुछ ‘संचालन संबंधी मुद्दों’ को निदेशक मंडल और नियामकों के ध्यान में लाया है. उसका कहना था कि इसके पीछे कंपनी की वर्तमान चेयरमैन रश्मी सलूजा हैं. वास्तव में, ‘निहित स्वार्थी तत्व’ अब इस सौदे को रोकने की कोशिश कर रहे हैं. बर्मन परिवार ने कहा कि यह कदम ‘पूरी तरह से गलत’ है. साथ ही कहा कि वह रेलिगेयर अधिग्रहण के साथ आगे बढ़ने के लिये पूरी तरह दृढ़ है.
परिवार ने एफआईआर के संबंध में कोई सूचना मिलने से इनकार किया. हालांकि, यह भी कहा कि उन्होंने मीडिया घरानों को उपलब्ध कराये गये दस्तावेज को देखा है. बयान में कहा गया है कि एफआईआर पूरी तरह से आधारहीन है. प्रवर्तन निदेशालय ने हाल ही में कहा था कि सट्टेबाजी ऐप के एक प्रवर्तक ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को 508 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया था. हालांकि, कांग्रेस ने इस आरोप को गलत और आधारहीन बताया है.