Maggi Price Hike: टू-मिनट मैगी... सबके दिलों पर राज करने वाला वो पीला पैकेट. टू मिनट नूडल्स या झटपट मैगी के नाम से भी मशहूर. हॉस्टल ब्वॉज का पसंदीदा फूड. टेस्टमेकर के वो चमकीले पैकेट वाली टेस्‍टी और हेल्‍दी मैगी. हां आपकी मैगी अब 14 की हो गई है. ये उसकी उम्र नहीं, बल्कि कीमत बढ़ी है. टू-मिनट का दावा करके कभी 2 मिनट में नहीं पकने वाली मैगी के दाम बढ़ा (Maggi price hike) दिए गए हैं. मैगी बनाने वाली कंपनी नेस्ले (Nestle India) ने अपने प्रोडक्ट्स के दाम में इजाफा किया है. इस इजाफे के बाद 12 रुपए का छोटा पीला पैकेट अब 14 रुपए (Maggi to cost Rs 14) का मिलेगा. बढ़ती महंगाई का तकड़ा अब धीमी आंच पर पकने वाली मैगी तक पहुंच गया है. 

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मैगी के अलग-अलग पैक पर बढ़े 16% तक दाम

नेस्ले इंडिया (Nestle India) ने ऐलान किया है कि मैगी की कीमतों में 9-16% तक का इजाफा किया गया है. 70 ग्राम का सबसे छोटा पैक अब 14 रुपए का मिलेगा. अभी तक इसकी कीमत 12 रुपए थी. वहीं, 140 ग्राम वाले पैकेट की कीमतों में 12.5% का इजाफा हुआ है. इसके अलावा 560 ग्राम वाला पैकेट 96 की जगह 105 रुपए का मिलेगा. कंपनी ने लागत बढ़ने की वजह से दाम बढ़ाए हैं.

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38 साल की इंडियन मैगी

मैगी को भारत आए 38 साल बीत चुके हैं. साल 1984 में भारतीय बाजार (Maggi in Indian Market) में आई मैगी ने कभी खुद भी नहीं सोचा होगा उसे इतना प्यार मिलेगा. दो मिनट बोलकर दो मिनट में नहीं पकने वाली मैगी (Maggi) का जन्म कैसे हुआ? किसने इसे ये नाम दिया? क्यों बार-बार तमाम विवादों के बाद भी बैन क्यों नहीं हुई? करोड़ों दिलों की पसंद मैगी के दाम बढ़ने पर कितना बुरा लगता होगा ना? आइये जानते हैं मैगी के जन्म से लेकर उसके दाम बढ़ने तक की पूरी कहानी...

नाम नहीं ब्रांड बना Maggi

सन 1947 में ब्रांड 'Maggi' का स्विट्जरलैंड की कंपनी नेस्ले के साथ विलय हुआ. इसके बाद से अब तक मैगी नेस्ले का सबसे फेमस ब्रांड है. नेस्ले इंडिया अपने प्रोडक्ट्स के विज्ञापन पर करीब 100 करोड़ रुपए खर्च करती है. इसमें मैगी की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है. भारत के मोस्ट वैल्यूड ब्रांड (Most Valued Brand in India) में से एक मैगी, असल में स्विट्ज़रलैंड की मशहूर कंपनी नेस्ले का सहयोगी ब्रांड है, लेकिन अधिकतर लोग नेस्ले को कम, मैगी को ही मूल ब्रांड मानते हैं. 

कभी मजबूरी में हुआ था मैगी का जन्म

यह जानकर हैरानी होगी कि नेस्ले का सबसे लोकप्रिय प्रोडक्ट मैगी का जन्म (Origin of Maggi) मजबूरी में हुआ था. वो वक्त की कमी के कारण. दरअसल सन 1872 में स्विट्ज़रलैंड के एक उद्यमी जूलियस मैगी ने मैगी ब्रांड स्थापित किया था. स्विट्ज़रलैंड में यह औद्योगिक क्रांति का दौर था, यहां की महिलाओं को लंबे समय तक फैक्ट्रियों में मजदूरी का काम करना होता था. काम के घंटे लंबे होने के कारण खाना बनाने के लिए बहुत कम समय बचता था, तो स्विस पब्लिक वेलफेयर सोसायटी ने जूलियस मैगी की मदद ली. इस तरह मैगी का जन्म भूख की मजबूरी को देखते हुए हुआ. जूलियस ने प्रोडक्ट का नाम अपने सरनेम पर रख दिया. वैसे उनका पूरा नाम जूलियस माइकल जोहानस मैगी था. साल 1897 में सबसे पहले जर्मनी में मैगी नूडल्स पेश किया गया था.

घर-घर तक पहुंची मैगी

शुरुआत में जूलियस ने प्रोटीन से भरपूर खाना और रेडीमेड सूप बनाया. इस काम में उनके फिजिशियन दोस्त फ्रिडोलिन शूलर ने उनकी मदद की. लेकिन, दो मिनट में बनने वाली मैगी को लोगों ने खूब पसंद किया. साल 1912 तक मैगी को अमेरिका और फ्रांस जैसे देशों के लोगों ने हाथों हाथ लिया. लेकिन, इसी साल जूलियस मैगी का निधन हो गया. उनकी मौत का असर मैगी (Maggi) पर भी पड़ा और लंबे समय तक इसका कारोबार धीरे-धीरे चलता रहा. फिर आया साल 1947, जब नेस्ले ने मैगी को खरीद लिया और उसकी ब्रांडिंग और मार्केटिंग ने मैगी को हर घर की किचन तक में पहुंचा दिया.

बदला स्वाद तो किचन में कम हुई मैगी

मैगी (Maggi) के नाम पर कई बार देश में विवाद हुए. कभी इसके फॉर्मूले को लेकर तो कभी Msg और लेड को लेकर. लेकिन, पब्लिक को पसंद तो मैगी ही है. नेस्ले ने अपनी सेल्स और बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए 1997 में मैगी नूडल्स को बनाने का फॉर्मूले बदल दिया और नए नूडल्स पेश किए. लेकिन, भारतीय किचन की शान रहने मैगी में ये बदलाव पसन्द किसी को नहीं भाया और मैगी की बिक्री दो साल तक लगातार गिरी और आखिरकार 1999 में कंपनी को पुराने फर्मूले पर लौटना पड़ा. आज भी मैगी के पारंपरिक 2 मिनट में तैयार होने के दावे वाले मैदा नूडल्स ही नंबर वन पसन्द हैं.