Scam: सामने आया 500 करोड़ रुपये का मेडिकल घोटाला, जानिए पूर्व ट्रस्टी बोर्ड ने कैसे दिया इस Fraud को अंजाम
लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट के पूर्व ट्रस्टी बोर्ड द्वारा 500 करोड़ का आर्थिक घोटाला सामने आया है. नवनिर्वाचित न्यासी बोर्ड की फोरेंसिक वित्तीय ऑडिट रिपोर्ट ने घोटाले का खुलासा किया.
लीलावती अस्पताल के स्थायी ट्रस्टी प्रशांत मेहता ने (मंगलवार) प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बांद्रा स्थित लीलावती हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में वित्तीय हेराफेरी की जानकारी दी. मेहता ने बताया कि पूर्व ट्रस्टी ने संस्था में 500 करोड़ रुपये का मेडिकल घोटाला किया है. यह मेडिकल की दुनिया का सबसे बडा घोटाला है. सुप्रीम कोर्ट के 18 सितंबर 2023 के आदेश के अनुसार, नव नियुक्त बोर्ड ने कानूनी और परामर्श शुल्क का ऑडिट किया है. ऑडिट में पता चला कि वकीलों और सलाहकारों पर 100 करोड़ रुपये बेतहाशा खर्च किए जा चुके हैं.
लीलावती हॉस्पिटल में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान प्रशांत मेहता ने कहा कि, ‘‘एक फोरेंसिक ऑडिट में पाया गया कि पिछले बोर्ड द्वारा एक चैरिटी के फंड से 200 करोड़ रुपये का गैरव्यवहार किया गया है. उन्होंने इस पैसे का इस्तेमाल व्यक्तिगत कानूनी मुद्दों के लिए वकीलों और सलाहकारों को भुगतान करने के लिए किया, जिसकी अनुमति नहीं है. माजी उपाध्यक्ष अजय पांडे और उनके मुख्य सलाहकार लक्ष्मी नारायणन ने कानूनी फीस के लिए धन का दुरुपयोग करने की बात स्वीकार की और चैरिटी आयुक्त को सबूत दिखाया. कोविड-19 महामारी के दौरान अदालतें बंद रहने के बावजूद वकील सुशाली मेहता और अमोल इनामदार को कानूनी खर्चों के लिए लगभग 10.75 करोड रूपये खर्च किए गए हैं.’’
क्या बोले प्रशांत मेहता?
प्रशांत मेहता ने आगे कहा की, "पूर्व अनाधिकृत बोर्ड ने नव स्थापित मधुलक्ष्मी ट्रस्ट में अवैध रूप से गलत योगदान दिया, जो दान दिए जाने के एक वर्ष से भी कम समय के लिए अस्तित्व में था. अवैध बोर्ड द्वारा ट्रस्ट को 6 करोड़ रुपये से अधिक की अत्यधिक राशि हस्तांतरित की गई. इससे यह सामने आता है कि पिछले गैरकानूनी ट्रस्टी न केवल अवैध वित्तीय गतिविधियों में लगे हुए थे, बल्कि उनसे व्यक्तिगत रूप से लाभान्वित भी हुए थे.’’
ट्रस्ट के फंड का गलत इस्तेमाल
प्रशांत मेहता ने कहा कि ट्रस्ट के फंड का गलत इस्तेमाल किया गया. एम एस. वेस्टा और एम एस. मेफेयर रियल्टर्स प्रा. लिमिटेड कंपनी द्वारा चिकित्सा उपकरण खरीदने के लिए विजय मेहता और निकेल मेहता पैसे भेजते थे. हालांकि, यह कंपनीयां फर्जी थीं. 15 करोड खर्च करने के बावजूद अस्पताल को कोई भी वैद्यकीय उपकरण प्राप्त नहीं हुआ. इसका मतलब ट्रस्ट के पैसों को हड़पना निकेत मेहता और उनके पिता विजय मेहता का उद्देश्य था.
निकेत मेहता पर लगे गंभीर आरोप
प्रशांत मेहता ने कहा, "किशोर मेहता और चारु मेहता ने इस लेन-देन के संबंध में निकेत मेहता ने झूठा दावा किया कि माहिम और लोनावाला में संपत्तियों को दुरुपयोग किए गए धन के मुआवजे के रूप में बरामद किया गया था. हालाँकि, बाद में पता चला कि निकेत मेहता ने अपने लाभ के लिए इन संपत्तियों को एकतरफा बेच दिया."
किशोर मेहता और चारू मेहता को रखा गया अंधेरे में
प्रशांत मेहता ने कहा, "पिछले अनाधिकृत बोर्ड ने काफी बड़ा आर्थिक गैरव्यवहार किया है, जिसे आयकर अधिकारियों ने सामने लाने का कमा किया है. 300 करोड़ से ज्यादा खर्च करने की इजाजत नहीं दी गई है. महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रशांत मेहता ने यह भी कहा कि किशोर मेहता और चारू मेहता को उनकी किसी भी संभावित शिकायत से बचने के लिए अंधेरे में रखा गया था."
सदी के सबसे बड़े मेडिकल घोटालों में से एक
इसके अलावा, अवैध ट्रस्टियों ने गुजरात के पालनपुर में ट्रस्ट की संपत्ति की तिजोरी तोड़ दी है और एक अतिरिक्त अस्पताल के निर्माण के लिए ट्रस्ट की संपत्ति चुरा ली है. चोरी की एक आपराधिक शिकायत गुजरात अदालत में दायर की गई है और फिलहाल फैसले का इंतजार है. पूर्व बोर्ड सदस्यों ने विभिन्न लेनदेन के माध्यम से अस्पताल को धोखा दिया है, जिसके परिणामस्वरूप 500 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है. प्रशांत मेहता ने कहा कि यह घटना सदी के सबसे बड़े मेडिकल घोटालों में से एक थी.
प्रशांत मेहता ने कहा कि लीलावती अस्पताल द्वारा मरीजों को गुणवत्तापूर्ण वैद्यकीय सेवाएं प्रदान करने के लिए हम प्रयत्नशील हैं. इसके लिए हमने सेवा शिबीर, रोशनी शिबीर और मुक्त चिकित्सा जांच शिबीर का अभियान शुरू किया हैं. आर्थिक स्थिती अच्छी न होने के कारण कई लोग इलाज से दूर रहते हैं. समय रहते इलाज नही हुआ तो बिमारी गंभीर स्वरूप धारण कर सकती हैं. इसलिए सभी मरीजों को अत्याधुनिक वैद्यकीय सेवा विनामुल्य उपलब्ध कराना हमारा मुख्य उद्देश हैं.