विश्व व्यापार संगठन (WTO) की ओर से देश और दुनिया भर मे मशहूर कोल्हापुरी चप्पल को जीआई (geographical indication) टैग दिया गया है. इस टैग की मांग पिछले कई वर्षों से लगातर की जा रही थी. इस टैग के मिलने के बाद ये चप्पल बस उन्हीं इलाको में बनाई जा सकेगी जिन इलाकों को इन्हें बनाने के लिए अधिकृत किया गया है.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

इस चप्पल को बनाने के लिए महाराष्ट्र के कोल्हापुर, शोलापुर, सांगली और सतारा के साथ ही कर्नाटक के चार जिलों को शामिल किया गया हैं.

महाराष्ट्र का कोल्हापुर अपनी खास चप्पलों की वजह से भी जाना जाता है. कोल्हापुरी चप्पल को एक नई पहचान तब मिली जब अस्सी के दशक में फिल्म सुहाग के एक दृश्य में सदी के महानायक अमिताभ बच्चन एक गुंडे को कोल्हापुरी चप्पल से पीटते नजर आए थे.

1000 साल पुराना इतिहास

अब इन्हीं कोल्हापुरी चप्पलों को जीआई टैग दे दिया गया है. जीआई टैग मुख्य रूप से कृषि, प्राकृतिक और निर्मित उत्पाद (हस्तशिल्प और औद्योगिक सामान) को दिया जाने वाला एक विशेष टैग है. यह विशेष गुणवत्ता और पहचान वाले उत्पाद को दिया जाता है. जो किसी विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में उत्पन्न होता है. कोल्हापुरी चप्पल का इतिहास तकरीबन 1000 साल पुराना है. इसकी ख्याति तब ज्यादा फैली जब कोल्हापुर में शाहूजी महाराज ने इस चप्पल को बनाने के लिए कई सारे ट्रेनिंग सेंटर खोले.

इस चप्पल को जीआई टैग देने की मांग कई साल पुरानी है. जीआई टैग मिलने का कोल्हापुरी चप्पल बनाने वाले लोग स्वागत कर रहे हैं. कोल्हापुरी चप्पल बनाने वाले लोगों का कहना है कि जीआई टैग मिल जाने के बाद जो चप्पल कोल्हापुर के नाम पर बेची जाती थी उन पर रोक लगेगी. इससे चप्पल को बनाने वाले लोगों को बड़ी संख्या में रोजगार मिलेगा.

कर्नाटक में विरोध

वहीं, जीआई टैग में कर्नाटक को शामिल किए जाने का लोग विरोध भी कर रहे हैं. इन लोगों का कहना है कि कोल्हापुरी चप्पल की पहचान कोल्हापुर से जुड़ी है. ऐसे में उसमें कर्नाटक कहां से आ गया. इन लोगों का कहना है कि वो इस मामले को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री से लेकर अदालत तक का दरवाजा तक खटखटाएंगे. इन लोगों का कहना है कि कर्नाटक में जो चप्पल बनती है, वो काफी खराब क्वालिटी की होती है. इससे कोल्हापुरी चप्पलों का मार्केट खराब होता है.

(रिपोर्ट- अमित त्रिपाठी/मुंबई)