नकदी संकट का सामना कर रही विमानन कंपनी जेट एयरवेज को 31 दिसंबर को समाप्त तीसरी तिमाही में एकल आधार पर 587.77 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ. ईंधन लागत अधिक होने और रुपये की विनियम दर में गिरावट से उसे नुकसान हुआ. पिछले वित्त वर्ष की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में उसे 165.25 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था.

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एकीकृत आधार पर चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में उसे 732 करोड़ रुपये का शुद्ध नुकसान हुआ. एक साल पहले की इसी तिमाही में उसने 186 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा कमाया था.

जेट एयरवेज ने शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि समीक्षाधीन अवधि में उसकी परिचालन आय 6,147.98 करोड़ रुपये रही, जो एक साल पहले की तीसरी तिमाही में 6,086.20 करोड़ रुपये थी. 

वहीं, कर्ज में फंसी निजी क्षेत्र की एयरलाइन जेट एयरवेज के निदेशक मंडल ने बृहस्पतिवार को बैंक की अगुवाई में तैयार कर्ज समाधान योजना (बीएलआरपी) को मंजूरी दे दी. इसके तहत कर्जदाताओं के कर्ज को इक्विटी शेयर में बदला जाएगा. इससे वे एयरलाइन के सबसे बड़े शेयरधारक बन जाएंगे.

इस दौरान कंपनी का कुल खर्च 2017-18 की तीसरी तिमाही में 6,042.58 करोड़ रुपये से बढ़कर 2018-19 की इसी तिमाही में 6,786.15 करोड़ रुपये हो गया.

वहीं, विमान ईंधन का खर्च 1,840.08 करोड़ रुपये से बढ़कर 2,387.72 करोड़ रुपये हो गया. जेट एयरवेज के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विनय दुबे ने बयान में कहा, "जेट एयरवेज परिचालन और वित्तीय मोर्चे पर लगातार सुधार कर रहा है. हम आश्वस्त है कि निदेशक मंडल की ओर से आज मंजूर किए गए कर्ज समाधान योजना (बीएलआरपी) से हम रणनीतिक, कुशल और वित्तीय रूप से व्यवहार्य एयरलाइन बन सकेंगे."