26 अप्रैल को होगा जेपी इंफ्रा पर फैसला, क्या 20000 घर खरीदारों को मिलेगा उनका आशियाना?
कर्ज संकट में फंसी जेपी इंफ्राटेक के कर्जदाताओं की समिति की बैठक 26 अप्रैल को होगी जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र की एनबीसीसी लि. तथा सुरक्षा समूह की संशोधित बोली पर चर्चा की जायेगी.
कर्ज संकट में फंसी जेपी इंफ्राटेक के कर्जदाताओं की समिति की बैठक 26 अप्रैल को होगी जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र की एनबीसीसी लि. तथा सुरक्षा समूह की संशोधित बोली पर चर्चा की जायेगी. जेपी समूह की रीयल्टी कंपनी के अधिग्रहण के वास्ते इन कंपनियों को बेहतर पेशकश सौंपने को कहा गया था. शेयर बाजार को दी गई सूचना में जेपी इंफ्राटेक के अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) अनुज जैन ने सूचित किया है कि कर्जदाताओं की समिति की बैठक 26 अप्रैल को होगी.
एनबीसीसी तथा सुरक्षा समूह द्वारा जेपी इंफ्राटेक के घर खरीदारों के 20,000 लंबित मकानों को पूरा करने के लिये संशोधित समाधान योजना 25 अप्रैल को पेश किये जाने की उम्मीद है. एनबीसीसी तथा सुरक्षा समूह दोनों ने मौजूदा बोली में कर्ज भुगतान समाधान के लिये जेपी समूह के भूखंडों की पेशकश की है. इसके अलावा जेपी की यमुना एक्सप्रेसवे योजना के मौद्रीकरण की भी पेशकश की है. यह सड़क योजना उत्तर प्रदेश में नोएडा को आगरा से जोड़ती है.
अडानी भी लगा सकती है बोली
इस बीच, विभिन्न कारोबार से जुड़ा अडानी समूह भी इस दौड़ में शामिल हो गया है. उसने जेपी इंफ्राटेक के अधिग्रहण में रूचि दिखायी है. अब कर्जदाताओं को यह निर्णय करना है कि क्या वे जारी प्रक्रिया के बीच में अडानी को बोली लगाने की अनुमति देंगे. संकट में फंसे जेपी समूह के प्रवर्तकों ने शुक्रवार को जेपी इंफ्राटेक पर नियंत्रण बनाये रखने को लेकर नये सिरे से प्रयास किया. कंपनी ने ऋण शोधन एवं दिवाला संहिता के तहत सौंपी गई अपनी कर्ज समाधान योजना के लिये मकान खरीदारों से समर्थन मांगा.
जेपी समूह के चेयरमैन मनोज गौड़ ने परेशान हजारों मकान खरीदारों से माफी मांगी और 2,000 करोड़ रुपये की पूंजी लगाने का वादा किया. साथ ही लंबित अपार्टमेंट को पूरा करने के लिये चार साल का समय मांगा. जेपी समूह ने अप्रैल 2018 में भी 10,000 करोड़ रुपये की योजना को रिणदाताओं के समक्ष रखा था लेकिन इसे स्वीकार नहीं किया गया.
जेपी इंफ्राटेक को 32,691 फ्लैट देने हैं. इसमें से 4,889 इकाइयां ऋण शोधन कार्यवाही शुरू होने से पहले पूरी हो चुकी थी. वहीं 7,278 इकाइयां पिछले 18 महीने में पूरी हुई हैं. जबकि 20,524 फ्लैट अभी तैयार होने हैं. पहले दौर में सुरक्षा समूह की इकाई लक्षद्वीप की 7,350 करोड़ रुपये की बोली को बैंकों ने खारिज कर दिया था. इस बोली को कंपनी की नेटवर्थ और संपति के मुकाबले काफी नीचे माना गया. रीयल्टी कंपनी के ऊपर करीब 9,800 करोड़ रुपये कर्ज है.