'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' में भारत की बड़ी छलांग, 63वें पायदान पर पहुंचा
'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' रैंकिंग में भारत 14 अंकों की छलांग लगाते हुए 63वें पायदान पर पहुंच गया है. अक्टूबर में जारी रैंकिंग में भारत 77वें स्थान पर था.
अर्थव्यवस्था की ग्रोथ के मामले में भले ही भारत को फिलहाल कुछ मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा हो, लेकिन देश में कारोबार करने की सुगमता में लगातार इजाफा हो रहा है. विश्व बैंक (World Bank) की 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' रैंकिंग में भारत ने एक बार फिर लंबी छलांग मारी है.
भारत 14 अंकों की छलांग लगाते हुए 63वें पायदान पर पहुंच गया है. अक्टूबर में जारी रैंकिंग में भारत 77वें स्थान पर था. अगर भारत में भी ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (ease of doing business) रैंकिग की बात की जाए तो यहां इस लिस्ट में पंजाब (Punjab) का लुधियाना सबसे ऊंचे पायदान पर है. साल 2017 में भारत इस इंडेक्स में 100वें स्थान पर था.
विश्व बैंक (World Bank) ने मंगलवार को ईज ऑफ़ डूइंग बिजनेस (EASE OF DOING BUSINESS) की रैंकिंग जारी की है. विश्व बैंक ने इस रैंकिंग में दुनियाभर के 190 ऐसे देश शामिल किए हैं, जहां कारोबार करना आसान है. इस रैंकिंग में न्यूज़ीलैंड (New Zealand) टॉप रैंकिंग पर है. न्यूज़ीलैंड के बाद क्रमश: सिंगापुर, हांगकांग, डेनमार्क, कोरिया, अमेरिका, जोर्जिया (Georgia) और 8वें पायदान पर ब्रिटेन (United Kingdom) है.
इस लिस्ट में जापान 29वें, चीन 31, सऊदी अरब 62वें और पाकिस्तान 108वें पायदान पर है.
लुधियान पहले स्थान पर
विश्व बैंक ने देशों के साथ देश के शहरों में भी कारोबार करने की स्थिति का जायजा लिया है. इस कड़ी में भारत में ईज ऑफ़ डूइंग बिजनेस की रैंकिंग में लुधियान (Ludhiana) पहले पायदान, हैदराबादा (Hyderabad) दूसरे, गुरुग्राम चौथे और नई दिल्ली 6वें पायदान पर है. सबसे नीचे 16वें पायदान पर कोलकाता को जगह मिली है.
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इंडेक्स
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इंडेक्स विश्व बैंक जारी करता है. देशों में कारोबार करने की सुगमता के आधार पर यह इंडेक्स तैयार किया जाता है. इसमें कई अलग-अलग पैरामीटर पर देखा जाता है कि कारोबार करने में लोगों को कितनी आसानी है और कारोबार करने में किस प्रकार की अड़चनें आती हैं.
इन बातों का होता है सर्वे
किसी भी देश में कारोबार की सुगमता के आधार पर ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इंडेक्स तैयार किया जाता है. रेग्युलेशन की स्थिति प्रमुखता से देखी जाती है. सरकारी रेग्युलेशन के चलते कारोबार आसान हुआ है या मुश्किल, इस पर विचार किया जाता है. इसके अलावा इसमें कंस्ट्रक्शन परमिट, रजिस्ट्रेशन, लोन और टैक्स पेमेंट की मशीनरी को ध्यान में रखकर ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इंडेक्स जारी किया जाता है.