अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जीएसपी व्यापार कार्यक्रम के तहत भारत को प्राप्त लाभार्थी विकासशील देश का दर्जा खत्म कर दिया है. जेनरेलाइज सिस्टम ऑफ प्रेफरेंस (जीएसपी) अमेरिका का सबसे बड़ा और पुराना व्यापार तरजीही कार्यक्रम है. इसका लक्ष्य लाभार्थी देश के हजारों उत्पादों को बिना शुल्क प्रवेश की अनुमति देकर आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है.

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ट्रंप की घोषणा के बाद 5 जून से भारत को जीएसपी के तहत मिलने वाली छूट खत्म हो जाएगी. राष्ट्रपति ट्रंप ने चार मार्च को कहा था कि अमेरिका जीएसपी के तहत भारत को प्राप्त लाभार्थी विकासशील देश का दर्जा खत्म करने पर विचार कर रहा है. इस संबंध में भारत को मिला 60 दिन का नोटिस तीन मई को समाप्त हो चुका है.

अमेरिका के इस कदम को भारतीय अर्थव्यवस्था और निर्यातकों के लिए एक झटके के तौर पर देखा जा रहा है. 5 जून को जीएसपी के तहत भारत को मिलने वाली छूट खत्म हो जाएगी. 

छोटे कारोबार पर पड़ेगा असर

फेडरेशन आफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाइजेशन (फियो) के महानिदेशक अजय सहाय ने इस बारे में ज़ी बिजनेस से बात करते हुए बताया कि 2018 में अमेरिका को 15.1 मिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट हुआ है. और जीएसपी के तहत जो एक्सपोर्ट हुआ है वह करीब 6.35 मिलियन डॉ़लर का है. नेट टैरिफ एडवंटेज 260 मिलियन डॉलर का मिला है. इसलिए बड़े स्तर पर इसका असर बहुत कम है. 

लेकिन कुछ ऐसे सेक्टर हैं जिनका जीएसपी के तहत एक्सपोर्ट ज्यादा होता है. जैसे- केमिकल और प्लास्टिक का 1200 मिलियन का एक्सपोर्ट था. इंजीनियरिंग गुड्स का 1023 मिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट था. स्टील के सामान का 885 मिलियन डॉलर, फार्मासिटिकल का 550 मिलियन डॉलर, ऑटो सेक्टर का 670 मिलियन डॉलर का था. इन सेक्टर्स पर अमेरिका के इस कदम का असर जरूर पड़ेगा. 

कुछ उद्योग को मिलती है ज्यादा छूट

अजय सहाय ने बताया कि इसके अलावा कुछ सेक्टर ऐसे हैं जिनमें जीएसपी का फायदा कुछ ज्यादा ही था. आमतौर पर जीएसपी में छूट 4 फीसदी की होती है लेकिन म्यूटेशन ज्वेलरी में यह छूट 7 फीसदी की है. इसी तरह ऑटो सेक्टर में यह छूट 5.6 फीसदी की है. प्रोसेज फूड में 5.52 फीसदी की है. इस तरह ऐसे सेक्टर जहां जीएसपी की छूट ज्यादा रही है वहां, पर भारत के लिए चिंता का विषय है. 

हमें यह देखना होगा कि जिन सेक्टर में जीएसपी बढ़ा है उनमें नुकसान तो नहीं हो रहा है. क्योंकि जिन सेक्टर्स में जीएसपी छूट 2-3 फीसदी की है, वहां इंडस्ट्री अपने मुनाफे को कम करके इस नुकसान की भरपाई कर सकती है. लेकिन जहां जीएसपी की छूट ज्यादा है तो वहां इंडस्ट्री इस बोझ को सहन न कर पाए. 

उद्योग जगत और सरकार को मिलकर निकालना होगा हल

सरकार और उद्योग जगत को साथ बैठकर यह देखना होगा कि ऐसे कौन-कौन से सेक्टर हैं जहां पर जीएसपी की छूट खत्म होने से ज्यादा असर पड़ रहा है और उनमें किस तरह की मदद की जा सकती है. 

 

सरकार से मांग है कि जहां जीएसपी छूट 3 फीसदी से ज्यादा की थी, वहां इंडस्ट्री जीएसपी के बोझ को सहन नहीं कर पाएगी और विदेशी कारोबार पर इसका असर जरूर पड़ेगा. इसलिए डब्ल्यूटीओ को तहत आने वाली कुछ स्कीम में मिलने वाली छूट को लागू किया जाए. ताकि बाजार में स्थिरता बनाए रखी जा सके. क्योंकि एक बार मार्केट से बाहर होने के बाद फिर से वापसी बहुत मुश्किल हो जाती है. बाजार में फिर से आने के लिए 3 से 5 साल का समय लगता है. 

इंजीनियरिंग निर्यात पर पड़ेगा असर

सामान्य तरजीही कार्यक्रम (जीएसपी) के तहत अमेरिका में भारत के 5.6 अरब डॉलर के सामानों को शुल्क में छूट मिलती है. इन सामानों में इंजीनियरिंग उत्पादों की करीब 44 फीसदी हिस्सेदारी रही है. वित्त वर्ष 2018-19 में अमेरिका ने दुनिया भर से कुल 331 अरब डॉलर का इंजीनियरिंग आयात किया था.

इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (ईईपीसी इंडिया) के पूर्व चेयरमैन राकेश शाह ने कहा कि जीएसपी के तहत अमेरिका में भारत के 5.6 अरब डॉलर के सामानों को शुल्क में छूट मिली, इनमें इंजीनियरिंग उत्पादों की हिस्सेदारी 2.5 अरब डॉलर की रही.

उन्होंने कहा कि जीएसपी का लाभ बंद होने से महंगे इंजीनियरिंग निर्यात पर 2 से 3 फीसदी का असर पड़ेगा, लेकिन यदि अगले 2 से 4 महीने में इस मामले को नहीं सुलझाया गया तो कम मूल्य वाले उत्पादों के लिए टिके रह पाना मुश्किल होगा. कुल इंजीनियरिंग निर्यात में कम मूल्य वाले उत्पादों की 40 फीसदी हिस्सेदारी है.