आर्थिक दिक्कतों से घिरी स्टील मैन्युफैक्चरर RINL को संकट से उबारने के लिए सरकार महारत्न कंपनी सेल (SAIL) के साथ उसके मर्जर की संभावना पर विचार कर रही है. सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. सूत्रों के मुताबिक, RINL के आंध्र प्रदेश स्थित प्लांट के ऑपरेशन को बनाए रखने के लिए कैपिटल जुटाना है. इसके लिए NMDC को जमीन बेचने के अलावा बैंक लोन जैसी योजनाओं पर भी काम किया जा रहा है. हाल ही में RINL के मसले पर फाइनेंशियल सर्विसेज के सचिव, इस्पात सचिव और सार्वजनिक क्षेत्र के अग्रणी बैंक SBI के शीर्ष अधिकारियों की एक बैठक भी हुई. SBI ने आरआईएनएल को खासा कर्ज दिया हुआ है. 

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सूत्रों ने कहा, "सरकार इस मुद्दे का स्थायी समाधान निकालना चाहती है. जिन विकल्पों पर चर्चा की जा रही है उनमें से एक विकल्प आरआईएनएल का सेल के साथ विलय भी है." इस्पात मंत्रालय के अधीन संचालित राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल) आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में 75 लाख टन क्षमता वाले इस्पात संयंत्र का संचालन करती है. देश की प्रमुख इस्पात उत्पादक स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) का नियंत्रण भी इस्पात मंत्रालय के पास है.

सूत्रों के मुताबिक, RINL के परिचालन के लिए पूंजी की व्यवस्था करने पर भी विचार किया जा रहा है. इसके अलावा वित्तीय सहायता के लिए ऋणदाताओं से बातचीत करने और एनएमडीसी को पेलेट संयंत्र लगाने के लिए 1,500-2,000 एकड़ जमीन बेचने जैसे उपायों पर भी गौर किया जा रहा है. श्रमिक संगठनों का मानना है कि दूसरे प्राथमिक इस्पात निर्माताओं की तरह आरआईएनएल को कभी भी निजी उपभोग वाली लौह अयस्क खदानों का लाभ नहीं मिला जो कि आरआईएनएल के समक्ष मौजूद संकट का प्रमुख कारण है. 

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने जनवरी, 2021 में निजीकरण के जरिये आरआईएनएल में सरकारी हिस्सेदारी के 100 प्रतिशत विनिवेश को 'सैद्धांतिक' मंजूरी दी थी.  इस्पात मंत्रालय के एक दस्तावेज के मुताबिक, आरआईएनएल गंभीर वित्तीय संकट में होने की वजह से अपनी न्यूनतम क्षमता पर चल रहा है और लगातार घाटे का सामना कर रहा है. इसका कुल बकाया 35,000 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया है.