मिशन 4.0 से औद्योगिक क्रांति को तैयार सरकार, बनाई ये रणनीति
सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को कहा कि उच्च आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने के लिये उद्योग-व्यापार का प्रतिस्पर्धी होना जरूरी है और प्रस्तावित नई औद्योगिक नीति इस लक्ष्य को हासिल करने में मददगार होगी.
सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को कहा कि उच्च आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने के लिये उद्योग-व्यापार का प्रतिस्पर्धी होना जरूरी है और प्रस्तावित नई औद्योगिक नीति इस लक्ष्य को हासिल करने में मददगार होगी. उद्योग मंडल फिक्की की 91वीं सालाना बैठक के एक सत्र को संबोधित करते हुए ओद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग (डीआईपीपी) के सचिव रमेश अभिषेक ने यह बात कही. उन्होंने यह भी कहा, ‘‘उद्योग 4.0 (आटोमेशन प्रौद्योगिकी पर आधारित चौथी औद्योगिक क्रांति) के लिये देश में कारोबार सुगमता और मजबूत नवप्रवर्तन का वातावरण महत्वपूर्ण है. डीआईपीपी उद्योग 4.0 एजेंडा के क्रियान्वयन के लिये उद्योग और अन्य पक्षों के साथ मिलकर काम करना चाहेगा.’’
सरकार चौथी औद्योगिक क्रांति को तैयार
उद्योग 4.0 से आशय चौथी आद्योगिक क्रांति से है. यह नाम विनिर्माण प्रौद्योगिकी में स्वचालन और डेटा आदान-प्रदान की मौजूदा प्रवृत्ति को दिया गया है. इसमें इंटरनेट आफ थिंग्स, क्लाउड कंप्युटिंग जैसी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी शामिल है. वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने इसी कार्यक्रम में कहा कि देश डिजिटल बदलाव के बीच में है और बुनियादी ढांचा क्षेत्र में काफी अवसर है जिसके पूर्ण रूप से उपयोग की जरूरत है. उन्होंने कहा, ‘‘नया भारत बनाने के लिये अर्थव्यवस्था का कृषि से विनिर्माण और सेवा क्षेत्र में संक्रमण के दौर को पूरा करने की आवश्यकता है.’’
पर्यावरण समस्याओं पर रखनी होगी नजर
सचिव ने पर्यावरण समस्या के समाधान की जरूरत पर बल दिया और कहा कि आने वाले समय में मुद्रास्फीति के नियंत्रण में रहने के यथोचित कारण हैं. वाणिज्य सचिव अनूप वाधवान ने कहा कि वैश्विक क्षेत्र से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत वृद्धि कर रही है और दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले चुनौतियों का बेहतर तरीके से सामना कर रही है. उन्होंने कहा कि 2015-16 से तेल के ऊंचे दाम, ब्याज दर में वृद्धि तथा संरक्षणवाद के बावजूद भारत मजबूत नीतियों की वजह से कमोबश मजबूती के साथ टिका हुआ है. हालांकि उन्होंने आगाह करते हुए कहा कि हल्की आर्थिक नरमी का दौर आ सकता है. वाधवान ने कहा, ‘‘भारत के आकार को देखते हुए निर्यात क्षेत्र क्षमता से नीचे है. परंपरागत वस्तुओं का निर्यात में हिस्सेदारी अधिक है लेकिन उनकी मांग में नरमी है. ऐसे में निर्यात को विविध बनाने की जरूरत है.’’