सरकार पेट्रोल पंप खोलने के नियमों को सरल बनाने पर विचार कर रही है. सरकार का इरादा है कि पेट्रोल पंप के क्षेत्र में अधिक से अधिक निजी उद्यमी आएं ताकि प्रतिस्पर्धा को बढ़ाया जा सके. पेट्रोलियम मंत्रालय के आदेश में कहा गया है कि मंत्रालय ने ईंधन की खुदरा बिक्री लाइसेंस जारी करने के नियमों को सरल बनाने पर सिफारिशें देने के लिए एक विशेषज्ञ समिति बनाई है.

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वर्तमान में पेट्रोलियम पदार्थों की खुदरा बिक्री लाइसेंस पाने के लिये किसी भी कंपनी को तेल एवं गैस खोज अथवा उत्पादन या फिर रिफाइनिंग, पाइपलाइनों और तरल प्राकृतिक गैस (LNG) टर्मिनल के क्षेत्र में 2,000 करोड़ रुपये का निवेश करने की जरूरत है. मंत्रालय के आदेश में कहा गया है, ‘‘विशेषज्ञ समिति ईंधन - पेट्रोल, डीजल और विमानन टरबाइन ईंधन - बिक्री का अधिकार दिए जाने से संबंधित मौजूदा दिशानिर्देशों के क्रियान्वयन से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर गौर करेगी.’’

विशेषज्ञ समिति में जाने माने अर्थशास्त्री किरीट पारिख, पूर्व तेल सचिव जी सी चतुर्वेदी, इंडियन ऑयल के पूर्व चेयरमैन और आईआईएम अहमदाबाद के निदेशक एम ए पठान को शामिल किया गया है. समिति देखेगी की मौजूदा दिशानिर्देशों में किसी तरह का संशोधन करने की जरूरत है.

समिति से पेट्रोलियम क्षेत्र से जुड़े विभिन्न पक्षों के साथ विचार-विमर्श करने के बाद 60 दिन के भीतर रिपोर्ट देने को कहा गया है. समिति प्राइवेट सेक्‍टर के खुदरा पेट्रोल पंप खोलने अथवा उनके विस्तार में आने वाले अड़चनों की पहचान करेगी. निजी क्षेत्र में फिलहाल रिलायंस इंडस्ट्रीज, नयारा एनर्जी (पूर्व में एस्सार ऑयल) और रॉयल डच शेल के कुछ पेट्रोल पंप हैं.

रिलायंस इंडस्‍ट्रीज के देशभर में 1,400 से भी कम पेट्रोल पंप हैं. नयारा के पास 4,833 और शेल के मात्र 114 पेट्रोल पंप हैं. सार्वजनिक क्षेत्र की आईओसी, बीपीसीएल और एचपीसीएल के अधिकार क्षेत्र में ही देशभर के 63,498 पेट्रोल पंपों में से सबसे ज्यादा पंप हैं. अधिकारियों का कहना है कि प्रतिस्पर्धा बढ़ने से सेवाओं में सुधार आएगा और ग्राहकों को अधिक विकल्प उपलब्ध होंगे. खुदरा विक्रेता ग्राहकों को लुभाने के लिए नई पेशकश करेंगे.