बढ़ती कीमतों के बीच नकदी संकट तथा अन्य निवेश विकल्पों की वजह से इस ‘धनतेरस’ सोना अपनी चमक गंवा सकता है. बाजार विशेषज्ञों और उद्योग ने यह राय जताई है. यदि कमजोर धारणा कायम रहती है तो यह लगातार दूसरा साल होगा जबकि सोने की बिक्री उम्मीद के अनुरूप नहीं रहेगी. वर्ष 2017 में धनतेरस पर सोने की बिक्री उससे पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत घटी थी. 2016 में सोने की बिक्री अच्छी रही थी क्योंकि नोटबंदी की घोषणा दिवाली के बाद हुई थी. 

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पिछला साल उद्योग के लिए सबसे खराब रहा था. नोटबंदी और उसके बाद माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के क्रियान्वयन तथा ऊंचे मूल्य की खरीद को केवाईसी नियम कड़े करने की वजह से पिछले साल सोने की बिक्री में जोरदार गिरावट आई थी. ऑल इंडिया जेम एंड ज्वेलरी डोमेस्टिक काउंसिल (जीजेसी) के चेयरमैन नितिन खंडेलवाल ने कहा, ‘‘इस धनतेरस मुझे अच्छे कारोबार की उम्मीद नहीं है, क्योंकि बाजार में नकदी की कमी की वजह से कारोबारी धारणा अच्छी नहीं है.’’ 

पांच से दस प्रतिशत घट सकती है बिक्री

खंडेलवाल ने कहा कि इस साल मैं बिक्री में पांच से दस प्रतिशत गिरावट की उम्मीद कर रहा हूं. अच्छी स्थिति होगी तो भी बिक्री ज्यादा से ज्यादा पिछले साल के स्तर पर पहुंच सकेगी. उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में सोने की कीमतों में तेजी आई है. इस वजह से भी लोग खरीद में हिचकिचाहट दिखा रहे हैं. धनतेरस पर सोने, चांदी और अन्य मूल्यवान वस्तुओं की खरीद को शुभ माना जाता है. पिछले साल धनतेरस के मौके पर सोना 30,000 रुपये प्रति दस ग्राम के स्तर पर चल रहा था. शनिवार को घरेलू स्तर पर सोना 32,550 रुपये प्रति दस ग्राम पर था. वैश्विक स्तर पर शुक्रवार को न्यूयॉर्क में सोना 1,233.80 डॉलर प्रति औंस पर चल रहा था. 

खंडेलवाल की बात का समर्थन करते हुए जीजेसी के पूर्व चेयरमैन मनीष जैन ने कहा कि दशहरा त्योहार पर कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ. धनतेरस और दिवाली पर भी यही स्थिति रहने का अंदेशा है. उन्होंने कहा, ‘‘हम यह उम्मीद कर रहे हैं कि उद्योग पिछले साल के बिक्री के आंकड़े के बराबर पहुंच जाए. हालांकि, मौजूदा धारणा को देखकर लग रहा है कि इस साल बिक्री पिछले साल से कुछ कम ही रहेगी.’’ 

म्यूचुअल फंड्स कर रहा प्रभावित

म्यूचुअल फंड्स जैसे बेहतर निवेश विकल्पों की वजह से भी लोग इस त्योहारी सीजन पर सोने की खरीद से बच रहे हैं. हालांकि, जैन ने कहा कि संगठित क्षेत्र की कंपनियों का प्रदर्शन पिछले साल से बेहतर रहने की उम्मीद है. उद्योग में 70 प्रतिशत हिस्सा असंगठित क्षेत्र का है. नकदी संकट की वजह से असंगठित क्षेत्र ही सबसे ज्यादा प्रभावित होगा. इस बीच, टाइटन की सहायक उपाध्यक्ष (विपणन आभूषण विभाग) दीपिका अग्रवाल ने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी का सभी उद्योगों विशेष रूप से आभूषण क्षेत्र पर उल्लेखनीय प्रभाव पड़ा है. उन्होंने कहा कि पिछले एक साल के दौरान बाजार स्थिर हुआ है और यह सतत वृद्धि दर्ज कर रहा है. 

कल्याण ज्वेलर्स के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक टी. एस. कल्याणरमन ने कहा, ‘‘पिछले साल की तुलना में इस धनतेरस हम मात्रा के हिसाब से पांच से सात प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं.’’ उन्होंने कहा कि ग्राहक अब समझने लगा है कि संगठित क्षेत्र से खरीदारी करने पर उन्हें आभूषणों को दोबारा बेचने पर बेहतर मूल्य मिलेगा.

(इनपुट एजेंसी से)