सरकार ने फ्लिपकार्ट और अमेजॉन जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों के लिये प्रावधान सख्त करते हुए बुधवार को कई कदम उठाये. इनके ऊपर उन कंपनियों के उत्पादों की बिक्री करने से रोक लगा दी गयी है, जिनमें इनकी हिस्सेदारी है. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने ई-कॉमर्स (E-commerce) कंपनियों को किसी उत्पाद विशेष को केवल अपने मंच से बिक्री का अनुबंध करने से भी रोक दिया है. मंत्रालय ने कहा, 'ऐसी कोई भी इकाई जिनके ऊपर ई-कॉमर्स कंपनी या उसके समूह की किसी कंपनी का नियंत्रण हो या उनके भंडार में ई-कामर्स कंपनी या उसके समूह की किसी कंपनी की हिस्सेदारी हो तो वह इकाई संबंधित ऑनलाइन मार्केटप्लेस (मंच) के जरिये अपने उत्पादों की बिक्री नहीं कर सकेंगी.' माना जा रहा है कि सरकार के इस कदम से छोटे व्यापारियों को फायदा होगा.

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मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा है, 'मार्केटप्लेस की समूह कंपनियों द्वारा खरीदारों को दिये जाने वाले कैशबैक भेदभाव से रहित तथा उचित होने चाहिये.' अधिसूचना में यह भी कहा गया कि इन कंपनियों को हर साल 30 सितंबर तक पिछले वित्त वर्ष के लिये दिशानिर्देशों के अनुपालन की पुष्टि को लेकर विधिवत नियुक्त अपने लेखा-परीक्षक की रिपोर्ट के साथ एक प्रमाण-पत्र रिजर्व बैंक के पास जमा कराना होगा.

मंत्रालय ने कहा कि ये बदलाव फरवरी, 2019 से प्रभावी होंगे. मंत्रालय ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा उपभोक्ताओं को भारी छूट दिये जाने के खिलाफ घरेलू कारोबारियों की आपत्तियों के मद्देनजर ये निर्णय लिये हैं. सरकार ने ई-वाणिज्य मंच का परिचालन करने वाली कंपनियों में शत प्रतिशत विदेशी हिस्सेदारी की छूट दे रखी है पर नियम के अनुसार वे माल की इन्वेंट्री (खुद का स्टाक) बना कर उसकी बिक्री अपने मंच पर नहीं कर सकतीं है.