मूवी देखने के लिए अब ई-टिकट ही लेना होगा, जीएसटी परिषद ने इस कारण लिया फैसला
GST council: सरकारी अधिकारियों ने कहा कि पंजीकृत मल्टीप्लेक्सों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से एक कर चालान जारी करना होगा और इस प्रयोजन के लिए उनके द्वारा जारी इलेक्ट्रॉनिक टिकट को कर चालान माना जाएगा.
इसका मकसद वस्तुओं और सेवाओं की कर चोरी की जांच कर उसे रोकना है. (रॉयटर्स)
इसका मकसद वस्तुओं और सेवाओं की कर चोरी की जांच कर उसे रोकना है. (रॉयटर्स)
आने वाले दिनों में अगर आप सिनेमा देखने की सोच रहे हैं तो आपको इसके लिए ई-टिकट ही लेना होगा. यानी अब कलरफुल पेपर वाले टिकट नहीं मिलेंगे. दरअसल, सरकार ने मल्टीप्लेक्स के लिए केवल इलेक्ट्रॉनिक टिकट बेचने के लिए कहा है. इसका मकसद वस्तुओं और सेवाओं की कर चोरी की जांच कर उसे रोकना है. ऐसी शिकायत मिलती रही है कि कई मल्टीप्लेक्स अभी तक रंगीन कागज वाले टिकट की बिक्री कर रहे हैं. सरकारी अधिकारियों ने कहा कि पंजीकृत मल्टीप्लेक्सों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से एक कर चालान जारी करना होगा और इस प्रयोजन के लिए उनके द्वारा जारी इलेक्ट्रॉनिक टिकट को कर चालान माना जाएगा. माना जा रहा है इससे केंद्र और राज्य दोनों के राजस्व में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है.
ये नियम फिलहाल मल्टीप्लेक्स वालों के लिए लागू किया गया है, लेकिन माना जा रहा है कि बहुत जल्द इसे सिंगल स्क्रीन सिनेमा हॉल के लिए भी अनिवार्य किया जा सकता है. चर्चा है कि इस नियम को लागू करना एक तरह से बी2सी ट्रांजेक्शन में इलेक्ट्रॉनिक इनवॉयस को अनिवार्य करने की तरफ एक पहल है. कैश में हुए ट्रांजेक्शन से उसका रिकॉर्ड नहीं रह पाता था. इससे टैक्स चोरी बड़ी आसानी से होती रही है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जानकार यह भी कहते हैं कि सिनेमाघरों में इस नियम को लागू करने के बाद अगर यह सफल रहा तो आने वाले समय में इसे पूरे बी2सी सिस्टम में लागू किया जा सकता है. इलेक्ट्रॉनिक इनवॉयस अभी तक बी2बी यानी बिजनेस टू बिजनेस के बीच होने वाले ट्रांजेक्शन में ही जरूरी था. आपको बता दें केंद्र और राज्य दोनों मिलकर टैक्स चोरी को ध्यान में रखते हुए फेक इनवॉयस को रोकने के उपाय तलाश रहे हैं. जीएसटी काउंसिल ने बी2बी लेनदेन में ई-इनवॉयस को अनिवार्य करने का फैसला लिया गया था.
05:51 PM IST