कोरोना वायरस (coronavirus outbreak in India) महामारी covid 19 पर लगाम लगाने के लिए देश में 21 दिनों का लॉकडाउन किया गया है. ऐसे में कारोबार बंद होने के चलते निर्यातकों के लिए भी मुश्किल काफी बढ़ गई है. सरकार ने निर्यातकों को राहत पहुंचाने के लिए कई ऐलान किए हैं. वाणिज्य विभाग ने निर्यातकों की राहत पहुंचाने के लिए कई  निर्यातकों के लिए अनिवार्य कई तरह की अनुमतियों (Compliance) की समय सीमा को बढ़ा दिया गया है.

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दी गई ये रियायतें

डीजीएफटी द्वारा विदेश व्यापार नीति (Foreign trade policy) 2015-20 के तहत दी गई सहूलियत

  • विदेश व्यापार नीति (FTP) 2015-2020 और प्रक्रियाओं की पुस्तिका (HBP), जो पहले 31 मार्च 2020 तक मान्‍य थी, की वैधता को अब एक साल यानी 31 मार्च 2021 तक बढ़ा दिया गया है.
  • भारत से सेवा निर्यात स्कीम के तहत वार्षिक क्लेम को दाखिल करने की अंतिम तिथि दरअसल क्लेम पीरियड के संबंधित वित्त वर्ष की समाप्ति के बाद 12 माह तक है. यह तिथि वर्ष 2018-19 के दावों के लिए 31 मार्च 2020 को समाप्त हो रही है, जिसे 31 दिसंबर 2020 तक बढ़ा दिया गया है.
  • राज्य और केंद्रीय करों एवं शुल्कों (आरओएससीटीएल) की छूट: 7 मार्च से लेकर 31 दिसंबर, 2019 के बीच के निर्यात लदान (Export shipment) के लिए ROSCTL दावे दाखिल करने की अंतिम तिथि 30 जून 2020 है, जिसे 31 दिसंबर 2020 तक बढ़ा दिया गया है.

 

 

  • भारत से कॉमर्शिल एक्स्पोर्ट स्कीम (MEIS): एमईआईएस दावों को दाखिल करने की अंतिम तिथि प्रत्येक शिपिंग बिल के लेट एक्सपोर्ट ऑर्डर (एलईओ) की तिथि से लेकर 1 वर्ष तथा लेट कट (आवदेन अंतिम तिथि के बाद मिलना) लागू होने पर उसके बाद 2 वर्ष और है. सभी शिपिंग बिलों के लिए लेट कट के बिना एमईआईएस दावों को दाखिल करने की अंतिम तिथि, जिनके लिए प्रारंभिक एक वर्ष की अवधि समाप्त हो गई है. 1 फरवरी 2020 को या उसके बाद और 31 मई 2020 को या उससे पहले समाप्त हो जाएगी, को प्रारंभिक एक वर्ष की अवधि की समाप्ति तिथि के बाद 3 माह आगे बढ़ा दिया गया है.

कर्मचारियों को दी गई राहत 

गृह मंत्रालय (Home Ministry) ने राज्यों (state)और केंद्र शासित प्रदेशों  (Union territories) से कहा है कि आम लोगों की जरूरत का सामान (Essential goods) बनाने वाली कंपनियों या इकाइयों के कर्मचारियों और मजदूरों को लॉकडाउन (Lockdown)के चलते कहीं रोका नहीं जाना चाहिए. जरूरी सामान बनाने वाली कंपनियों के कर्मचरियों और मजदूरों को सुचारू रूप से 'पास' दिए जाएं ताकि जरूरी सामान के उत्पादन में किसी तरह की रूकावट न आए.