व्यापारियों के संगठन कन्फ़ेडरेशन आफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने दिल्ली में चल रही सीलिंग की कार्रवाई को तुरंत रोकने की मांग की है. वहीं व्यापारिक संगठन ने केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी को एक ज्ञापन भेजकर दिल्ली के व्यापारियों को सीलिंग से बचाने के लिए अध्यादेश लाने की माँग की है. व्यापारियों की मांग है कि सरकार एक ऐम्नेस्टी स्कीम लाए जिसके अंतर्गत 31 दिसम्बर 2017 तक की यथास्तिथि को बरक़रार रखा जाए और इस तारीख़ तक जितने भी मामले हैं उन पर एक उचित पेनल्टी लगाकर उनको रेगुलराइस किया जाए. कैट ने कहा है की उच्चतम न्यायालय ने मास्टर प्लान में संशोधनों के मामले को फ़रवरी 2019 तक स्थगित कर दिया है. ऐसे में अब अध्यादेश ही एक विकल्प बचा है जिससे व्यापारियों को सीलिंग से राहत मिल सकती है.

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28 सितम्बर को बंद रहेगी दिल्ली

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने बताया कि दिल्ली में सीलिंग के अभियान को और तेजी से चलाए जाने की सभावना जताई जा रही है. ऐसे में व्यापारियों की ओर से एक पत्र केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को भी भेजकर इस मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है. उन्होंने बताया कि सीलिंग को लेकर आगामी 28 सितम्बर को दिल्ली व्यापार बंद का आवहन किया गया है. इसमें दिल्ली के सभी बाज़ार पूरे तौर पर बंद रहेंगे. उन्होंने बताया कि मॉनिटरिंग कमेटी ने हाल ही में दिल्ली में सभी फ़ार्म हाउस और मोटल सील करने का आदेश दिया है जिससे बहुत बड़ा सामाजिक संकट पैदा होगा, क्योंकि बड़ी सांख्या में दिल्ली के लोगों ने इन जगहों पर शादी एवं अन्य कार्यक्रम करने के लिए बुकिंग करा रखी है. ऐसे में इस सीलिंग से पूरी दिल्ली में अव्यवस्था फैल जाएगी.

सरकार तुरंत लाए अध्यादेश

खंडेलवाल ने कहा कि सरकार द्वारा मास्टर प्लान में संशोधन किए हुए चार महीने से अधिक का समय हो गया है लेकिन दिल्ली भर में इसका लाभ अभी तक किसी को नहीं मिला एवं न कोई दुकान डी सील हुई है. उच्चतम न्यायालय ने इस मुद्दे की सुनवाई फ़रवरी 2019 तक टाल दी है. दिल्ली में दुकानों को सील हुए लगभग नौ महीने हो गए हैं और फरवरी तक एक लम्बा समय बाकी है. लोग दुकाने बंद होने से भुखमरी के कगार पर हैं. ऐसे में वर्तमान परिस्थितियों में दिल्ली को सीलिंग से बचाने के लिए अध्यादेश ही एकमात्र रास्ता है और सरकार को अब बिना कोई विलम्ब किए अध्यादेश लाकर दिल्ली के लाखों लोगों को राहत देनी चाहिए.