साइरस मिस्‍त्री (Cyrus Mistry) फिर से टाटा संस (Tata sons) के एक्‍जीक्‍यूटिव चेयरमैन बन गए हैं. उन्‍होंने टाटा संस के बोर्ड के बर्खास्‍तगी के फैसले को NCLAT में चुनौती दी थी. वह NCLT में केस हार गए थे. NCLAT ने NCLT के ऑर्डर को खारिज करते हुए साइरस मिस्‍त्री की याचिका पर सुनवाई शुरू कर दी है.

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आपको बता दें कि साइरस मिस्त्री टाटा संस और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के चेयरमैन और निदेशक थे. 24 अक्टूबर, 2016 को मिस्‍त्री को समूह के चेयरमैन पद से हटाया गया था. 

बाद में RTI में खुलासा हुआ था कि उनकी बर्खास्‍तगी कंपनी कानून का उल्‍लंघन था. RTI के जवाब में रजिस्‍ट्रार ऑफ कम्‍पनीज (RoC) मुंबई ने बताया था कि यह फैसला भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नियमों के अनुरूप नहीं था. यह टाटा का खुद के कंपनी नियमों के प्रावधानों का भी उल्लंघन था.

मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन और TCS के निदेशक पद से हटाना कंपनी कानून, 2013 के प्रावधानों का उल्लंघन है. इसके अलावा यह रिजर्व बैंक के गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) के ऑपरेशनल नियमों का भी उल्लंघन था. टाटा संस टाटा समूह की पैतृक कंपनी है.

इस खुलासे के बाद मिस्‍त्री राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) चले गए. लेकिन NCLT ने मिस्त्री की बर्खास्तगी को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था. मिस्त्री को 24 अक्टूबर, 2016 को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाया गया था. वह कंपनी के वैश्विक मुख्यालय बांबे हाउस में 4 साल से दो महीने कम तक इस पद पर रहे.

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मिस्त्री का परिवार टाटा संस में सबसे बड़ा गैर टाटा परिवार का शेयरधारक है. कंपनी में उनके परिवार की हिस्सेदारी 18.4 प्रतिशत है