Cyrus Mistry Death: टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री की आज पालघर के पास सड़क हादसे में मौत हो गई. यह घटना दोपहर 3.15 बजे की है. वे कार से अहमदाबाद से मुंबई लौट रहे थे. कार में चार लोग सवार थे, जिनमें दो की मौके पर ही मौत हो गई. इनमें एक साइरस मिस्त्री थे. जानकारी के मुताबिक, डिवाइडर से टकराने के कारण यह हादसा हुआ है. वे 54 साल के थे.

2012 में टाटा संस के चेयरमैन बने थे

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बता दें कि साइरस मिस्त्री पूर्व में टाटा संस के चेयरमैन रह चुके हैं. साल 2012 में रतन टाटा ने जब चेयरमैन पद की कमान छोड़ी थी, उसके बाद साइरस मिस्त्री को यह  जिम्मेदारी सौंपी गई थी. टाटा संस में शापूरजी पालोनजी ग्रुप की दूसरी सबसे बड़ी हिस्सेदारी थी. इसी के आधार पर उनका चयन किया गया था. टाटा संस के बोर्ड को उन्होंने साल 2006 में ज्वॉइन किया था. 24 अक्टूबर 2016 को टाटा संस के बोर्ड ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया था.

शापूरजी ग्रुप के पास 18.6 फीसदी हिस्सेदारी

साइरस मिस्त्री और रतन टाटा के बीच का विवाद भारतीय कॉर्पोरेट इतिहास का सबसे बड़ा विवाद माना जाता है. टाटा संस में टाटा ट्रस्ट के पास 66 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि मिस्त्री फैमिली के पास 18.4 फीसदी हिस्सेदारी है. दिसंबर 2012 में साइरस मिस्त्री को टाटा संस का चेयरपर्सन नियुक्त किया गया था. अक्टूबर 2016 में उन्हें बोर्ड से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था.

जनवरी 2017 में एन चंद्रशेखरन को मिली कमान

जनवरी 2017 में एन चंद्रशेखरन को टाटा संस का चेयरमैन नियुक्त किया गया था. वे उस समय टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिस और मैनेजिंग डायरेक्टर थे. 6 फरवरी 2017 को उन्हें टाटा संस के डायरेक्टर पद से हटाया गया था.

NCLT फिर NCLAT पहुंचा था मामला

यह विवाद बाद में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल यानी NCLT के पास गया. एनसीएलटी ने टाटा संस के खिलाफ मिस्त्री की याचिका को खारिज कर दिया. बाद में यह मामला NCLAT यानी नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल के पास गया. दिसंबर 2019 में NCLAT ने एनसीएलटी के आदेश के बदल दिया और कहा कि टाटा संस के बोर्ड से उनकी निकासी गैर कानूनी है.

सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामला

जनवरी 2020 में टाटा संस और रतन टाटा ने NCLAT  के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. कोर्ट ने पहले इस फैसले पर रोक लगाने का आदेश जारी किया. फरवरी 2020 में मिस्त्री की तरफ से क्रॉस अपील दाखिल की गई. सितंबर 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने शापूरजी पालोनजी ग्रुप से कहा कि वह टाटा संस में अपनी हिस्सेदारी को गिरवी रख कर फंड इकट्ठा नहीं कर सकता है.