दिवाली पर रंगबिरंगी झालर और लाइट्स बेहद खास होती हैं. लंबे वक्त से भारतीय बाजारों पर चीन का दबदबा रहा है, लेकिन इस बार चीन की लाइट्स के लिए मानक बदल दिए गए हैं. इसके चलते चीन के प्रोडक्ट 10% से 60% तक महंगे हो गए हैं. ऐसे में माना जा रहा था कि अब भारतीय लाइट्स की बिक्री बढ़ जाएगा, लेकिन क्या वाकई ऐसा हुआ है? इसका रियलिटी चेक किया जीबिजनेस संवाददाता केतन जोशी ने. 

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रियलिटी चेक में ये पाया गया कि चीन की लाइटें इस साल महंगी जरूर हुई हैं लेकिन कुछ मामलों में वे अभी भी भारतीय उत्पादों के मुकाबले सस्ती हैं. इसके अलावा कुछ श्रेणियों में चीन के उत्पाद महंगे जरूर हैं, लेकिन उनमें वैराइटी अधिक होने के कारण लोग उन्हें ही पसंद कर रहे हैं. भारत की एलईडी लाइटें चीन की लाइटों के मुकाबले सस्ती बिक रही हैं.

चीन की लाइटों का कारोबार

भारत में चीन की लाइटें का सालाना कारोबार 5000 से 6000 करोड़ रुपये तक का है. एक कारोबारी ने बताया कि 'चाइना इस बार थोड़ा महंगा हुआ है, लेकिन इंडियन के मुकाबले चाइना थोड़ा ज्यादा ही बिकता है.' भारत की लाइटों की बात करें तो यहां वैराइटी की कमी है.

पिछले साल चीन की 10 फीट की एलईडी सिर्फ 30 रुपये की मिलती थी, जो इस बार 50 रुपये की है. दूसरी ओर भारत की एलईडी अभी भी 30 रुपये की ही बिक रही है. लेकिन ग्राहकों का कहना है कि भारतीय लाइट में रोशनी कम है.

ग्राहकों ने कहा कि वो भारत में बनी लाइटें खरीदना तो चाहते हैं, लेकिन वैराइटी नहीं होने के कारण उन्हें चाइनीज लाइट खरीदनी पड़ती हैं. इस तरह बाजार पर चीन का कब्जा बरकरार है.