केंद्र सरकार छोटे व्‍यापारियों की कमाई बढ़ाने पर जोर दे रही है. इस कड़ी में सबसे पहले ई-कॉमर्स कंपनियों पर शिकंजा कसने की तैयारी है. ऐसा रिटेल कारोबारियों की उस शिकायत पर होगा जिसमें उनके सबसे बड़े संगठन कन्‍फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने आरोप लगाया था कि Flipkart, Amazon जैसे ई-कॉमर्स प्‍लेटफॉर्म ग्राहकों को डिस्‍काउंट के बहाने अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं. इससे छोटे व रिटेल कारोबारियों का कारोबार ठप सा हो गया है. भारत का ई-कॉमर्स कारोबार एक दशक में 200 अरब डॉलर के आंकड़े को छू जाएगा.

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क्‍या उपाय करेगी सरकार

वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय सबसे पहले ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा लागत से भी कम मूल्य पर माल बेचना, बड़े डिस्काउंट देना आदि पर रोक लगाएगी. इसके साथ ही ई-कॉमर्स इंडस्‍ट्री को मजबूती प्रदान करने के लिए नई ई-कॉमर्स नीति की घोषणा कर सकती है और ई-कॉमर्स व्यापार के लिए एक नियामक का गठन कर सकती है.

रिटेल कारोबारियों के लिए ई-पोर्टल शुरू करे सरकार

खुदरा कारोबारियों के संगठन CAIT ने यह भी मांग की है कि केंद्र सरकार ऐसा प्‍लेटफॉर्म शुरू करे जिससे रिटेल कारोबारियों को अपना सामान उस पर बेचने का मौका मिल सके. कैट ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु को कुछ दिन पहले ज्ञापन दिया था, जिसमें मांग की गई थी कि अभी बड़ी ऑनलाइन कंपनियों के मनमाने रवैये से देश का ई-कॉमर्स व्यापार पूरी तरह खराब हो गया है. ऑनलाइन कंपनियां एफडीआई (FDI) नीति का खुला उल्लंघन करते हुए लागत से भी कम मूल्य पर माल बेचना, बड़े डिस्काउंट देना आदि सभी प्रकार के हथकंडे अपना कर बाज़ार पर कब्ज़ा जमाने का षड्यंत्र रच रही हैं.

सरकार ई-कॉमर्स कंपनियों पर कार्रवाई करे

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने लगातार शिकायत करने के बाद भी इन कंपनियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने पर अफसोस जताया. उन्होंने कहा कि नीति के अभाव में कंपनियां मनमाना व्यवहार कर रही हैं, जिससे लाखों व्यापारियों को नुकसान हो रहा है. खंडेलवाल ने कहा कि व्यापारिक संगठनों के साथ मिलकर सरकार एक ई-कॉमर्स पोर्टल शुरू करे जिस पर व्यापारी, छोटे कारीगर, महिला उद्यमी आदि पारदर्शी तरीके से व्यापार कर सकें.