पेन बनाने वाली इस कंपनी के खिलाफ CBI ने दर्ज किया बैंक धोखाधड़ी का केस, 750 करोड़ का है पूरा मामला; पढ़ें डीटेल
Rotomac Global-CBI Case: जांच एजेंसी ने कंपनी और उसके डायरेक्टर्स साधना कोठारी और राहुल कोठारी के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के अलावा आपराधिक साजिश (120-बी) और धोखाधड़ी (420) से संबंधित आईपीसी की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है.
Rotomac Global-CBI Case: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने Indian Overseas Bank (IOB) के साथ 750.54 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी के मामले में कानपुर की रोटोमैक ग्लोबल और उसके डायरेक्टर के खिलाफ मामला दर्ज किया है. पेन बनाने वाली कंपनी पर बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले सात बैंकों के गठजोड़ (कंसोर्टियम) का कुल 2,919 करोड़ रुपये का बकाया है. इस बकाये में इंडियन ओवरसीज बैंक का हिस्सा 23 प्रतिशत है. जांच एजेंसी ने कंपनी और उसके डायरेक्टर्स साधना कोठारी और राहुल कोठारी के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के अलावा आपराधिक साजिश (120-बी) और धोखाधड़ी (420) से संबंधित आईपीसी की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है. बैंकों के गठजोड़ के सदस्यों की शिकायतों के आधार पर कंपनी पहले से ही सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की जांच के घेरे में है.
इंडियन ओवरसीज ने क्या लगाए हैं आरोप?
सीबीआई को अपनी शिकायत में इंडियन ओवरसीज बैंक ने आरोप लगाया कि कंपनी को 28 जून, 2012 को 500 करोड़ रुपये की गैर-कोष आधारित राशि सीमा मंजूर की गई थी. वहीं, 750.54 करोड़ रुपये की बकाया राशि में चूक के बाद खाते को 30 जून, 2016 को एनपीए घोषित कर दिया गया था.
बैंक ने आरोप लगाया कि कंपनी की विदेशी व्यापार जरूरतों को पूरा करने के लिए उसने 11 साख पत्र (एलसी) जारी किए थे. ये सभी पत्र ट्रांसफर कर दिए गए थे, जो 743.63 करोड़ रुपये के बराबर है.
बैंक का आरोप है कि दस्तावेजों के अभाव में लदान के बिलों में दावा किए गए व्यापारिक जहाज और यात्राओं की प्रामाणिकता पर संदेह है. बैंक की ओर से किए गए फॉरेंसिक ऑडिट में बही-खाते में कथित हेरफेर और एलसी से पैदा होने वाली देनदारियों का खुलासा न करने के संकेत मिले थे. ऑडिट में लेखापरीक्षा में बिक्री अनुबंधों, लदान के बिलों और संबंधित यात्राओं में भी अनियमितताएं पाई गई हैं. इसमें कहा गया है कि कुल की 92 प्रतिशत यानी 26,143 करोड़ रुपये की बिक्री एक ही मालिक और समूह के चार पक्षों को की गई.
बैंक ने आरोप लगाया कि इन पक्षों या पार्टियों को प्रमुख सप्लायर रोटोमैक समूह था. वहीं इन पक्षों की ओर से खरीद करने वाला बंज ग्रुप था. रोटोमैक समूह को उत्पादों की बिक्री करने वाला प्रमुख विक्रेता बंज ग्रुप था. इन चारों विदेशी ग्राहकों का समूह के साथ संबंध था. कंपनी ने कथित रूप से बैंक के साथ धोखाधड़ी की और पैसे को इधर-उधर किया. इससे बैंक को वित्तीय नुकसान हुआ और कंपनी ने खुद गलत तरीके से 750.54 करोड़ रुपये का प्रॉफिट कमाया. अभी इसकी वसूली नहीं हो सकी है.
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें