वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी, शनिवार को संसद में बजट पेश करने जा रही हैं. बजट को लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. बजट को लेकर समाज के हर वर्ग को बड़ी उम्मीदें हैं. बीमा सेक्टर की बात करें तो बीमा क्षेत्र के दिग्गजों को उम्मीद है कि बजट में इंश्योरेंस सेक्टर के लिए बड़े ऐलान हो सकते हैं. सबसे ज्यादा चर्चा बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश को बढ़ाने को लेकर है.

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इससे पहले सरकार ने 2014 में बीमा सेक्टर में एफडीआई 26 फीसदी से बढ़ाकर 49 फीसदी किया था.

बीमा क्षेत्र () में इस समय विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment-FDI) की सीमा 49 फीसदी है. चर्चा है कि एफडीआई की सीमा को 49 फीसदी से बढ़ाकर 74 फीसदी किया जा सकता है. 

ओनरशिप रेग्युलेशन में बदलाव

अभी तक यह मानना था कि अगर इंश्योरेंस सेक्टर (Insurance Sector) में एफडीआई (FDI) की सीमा 74 फीसदी कर दी जाती है तो कंपनियों के मैनेजमेंट और मालिकाना हक विदेशी निवेशकों के पास चला जाएगा, इस पेंच को हटाने के लिए सरकार ओनरशिप रेग्युलेशन में बदलाव करके यह नियम लागू कर सकती है कि विदेशी निवेश बढ़ने के बाद भी भारतीय प्रोमोटरों के अधिकार कंपनी में बने रहेंगे. विदेशी हिस्सेदार और भारतीय प्रोमोटर के बीच एक बैलेंस किया जाएगा. 

 

जैसे- चीफ एग्जिक्यूटिव को नियुक्त करने का अधिकार विदेशी हिस्सेदार के पास होगा तो उसमें भारतीय प्रोमोटर की भी मंजूरी ली जानी जरूरी होगी. बोर्ड मैंबरों में भारतीय प्रोमोटर की भी हिस्सेदारी रहेगी. 

दरअसल, बीमा कंपनियों को अपना विस्तार करने के लिए विदेशी पूंजी की जरूरत है. अगर सरकार एफडीआई की लिमिट बढ़ाती है तो बीमा क्षेत्र के लिए फायदा ही होगा. विदेशी हिस्सेदारों से भारतीय कंपनियों को नई-नई तकनीकें मिलेंगी. 

एफडीआई से फायदा

बीमा क्षेत्र में एफडीआई बढ़ने से बीमा कंपनियां अपना विस्तार करेंगी और नए दफ्तर भी खुलेंगे. ज्यादा से ज्यादा नौकरियां पैदा होंगी. बीमा प्रोडक्ट बेहतर होंगे और ग्राहकों को बेहतर उत्पाद मिलेंगे. प्रीमियम में भी कमी आएगी.

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बीमा सेक्टर में ज्यादा कंपनियां होने से उनमें प्रतिस्पर्धा होगी. इससे हर कंपनी ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए बेहतर और सस्ते उत्पाद मार्केट में लॉन्च करेंगी.