बजट से रियल एस्टेट सेक्टर को है ये उम्मीद, मांगे मानी गई तो तेजी से बढ़ेगी इकोनॉमी
संसद का मानसून सत्र शुरू हो चुका है. जल्द ही सरकार बजट पेश करेगी. ऐसे में काफी समय से मंदी की मार झेल रहे रियल एस्टेट कारोबार को बजट से बहुत उम्मीदें हैं. जी बिजनेस ने शोभा लिमिटेड के प्रबंध निदेशक जेसी शर्मा से रियल एस्टेट सेक्टर की बजट से क्या उम्मीदें हैं इस पर बात की.
संसद का मानसून सत्र शुरू हो चुका है. जल्द ही सरकार बजट पेश करेगी. ऐसे में काफी समय से मंदी की मार झेल रहे रियल एस्टेट कारोबार को बजट से बहुत उम्मीदें हैं. जी बिजनेस ने शोभा लिमिटेड के प्रबंध निदेशक जेसी शर्मा से रियल एस्टेट सेक्टर की बजट से क्या उम्मीदें हैं इस पर बात की.
रियल एस्टेट सेक्टर को ब्याज दरें कम होने की है उम्मीद
शोभा लिमिटेड के प्रबंध निदेशक जेसी शर्मा ने इस मौके पर कहा कि रियल एस्टेट सेक्टर की मांग है कि सरकार तत्काल प्रभाव से ब्याज दरों में कमी लाए ताकि रियल एस्टेट कारोबार को फायदा मिलने के साथ ही इकोनॉमी में भी ग्रोथ हो.
इक्विटी व अन्य क्षेत्रों में निवेश बढ़ाना होगा
शर्मा ने कहा कि देश में एक लॉबी काम कर रही है जो देश में बिना जोखिम के बचत करने वालों को जरूरत से ज्यादा प्रोत्साहित कर रही है. लोग पीएफ, एफडी, इंश्योरेंस आदि में अपना ज्यादा निवेश कर रहे हैं ताकि उनका निवेश सुरक्षित बना रहे. लेकिन इसके चलते इक्विटी मार्केट, ट्रेड व इंडस्ट्री काफी प्रभावित हो रही है. पर्सनल लोन व एजुकेशन लोन 12 से 18 फीसदी पर बना हुआ है हाउसिंग लोन 09 फीसदी पर बना हुआ है ऐसे में इकोनॉमी में कहां से तेजी आएगी.
ब्याज दरों में कमी से बढ़ेगी अर्थव्यवस्था
उन्होंने कहा कि आज देश में लिक्विडिटी का तनाव है, बैंकों में एनपीए की मुश्किल है, प्रोफिटिबिलिटी दबाव में है. ऐसे में आरबीआई के प्रयासों के बाद भी रेट ऑफ इंट्रेस्ट सबसे अधिक है. हम इनफ्लेशन कम होने के बाद भी ब्याज दरें नहीं घटा पा रहे हैं. शर्मा का मानना है कि अगर ब्याज दरों में दो से तीन फीसदी की कमी आए तो इकोनॉमी में तेजी से विकास दिखेगा.
ब्याज दरों में कमी से बढ़ेगा रियल एस्टेट सेक्टर
विकसित देशों में बैंकों की बैलेंसशीट हाउसिंग मार्गेज पर चल रही है. कस्टमर की बात करें तो भले व्यक्त रहे न रहे पर उसकी प्रापर्टी हमेशा रहती है. ऐसे में लोन की रिकवरी की भी कोई दिक्कत नहीं होती है. हमें हाउसिंग सेक्टर में मांग बढ़ाने के लिए ब्याज दरों में कमी लाना बेहद जरूरी है. आज भारत ही ऐसा देश है जहां मांग को तेजी से बढ़ाया जा सकता है.