ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले के बीरमित्रपुर स्थित एशिया की सबसे बड़ी चूना पत्थर खदान बिसरा स्टोन लाइम लिमिटेड (बीएसएलसी) के संचालन फिर से शुरू होगा. यहां से सेल (SAIL) समेत देश के बड़े-बड़े इस्पात संयंत्रों में चूना पत्थर की सप्लाई होती थी, लेकिन कुछ समय पहले इन प्लांटों ने बिसरा से माल लेने से मना कर दिया था. माल की सप्लाई नहीं होने से बिसरा स्टोन लाइम लिमिटेड के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया था. इस समय यहां से केवल राउरकेला इस्पात संयंत्र में ही यहां से कच्चामाल जा रहा है. 

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आर्थिक तंगी के कारण कर्मचारियों का समय पर वेतन नहीं दिया जा रहा था. लेकिन सरकार के हस्तक्षेप के बाद अब फिर से बिसरा स्टोन लाइम के दिन बदलने वाले हैं. 

केंद्रीय इस्पात और पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने हस्तक्षेप कर कंपनी के सामने आए आर्थिक संकट को दूर करने के उपायों पर चर्चा की. इस्पात मंत्रालय में आयोजित एक बैठक में बिसरा स्टोन लाइम लिमिेटेड का संचालन फिर से करने पर कई अहम फैसले लिए गए. सरकार ने उन उपायों पर चर्चा की जिनके आधार पर श्रमिको और विक्रेताओं को आने वाले समय में कोई परेशानी न हो. 

बैठक में राज्य मंत्री (इस्पात) फग्गन सिंह कुलस्ते, जुएल ओराम, सुंदरगढ़ के सांसद शंकर समेत इस्पात सार्वजनिक उपक्रमों के अधिकारी उपस्थित थे. बैठक में इस बात पर सहमति हुई है कि कंपनी के संचालन संबंधी मुद्दों को सुलझा लिया जाएगा. सेल और आरआईएनएल ने बीएसएलसी से डोलोमाइट खरीदने का आश्वासन दिया. 

राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड की सहायक कंपनी बिसरा स्टोन लाइम लिमिटेड (BSLC) वर्ष 1910 से ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले में चूना पत्थर और डोलोमाइट का खनन और बिक्री का काम करती रही है. अंग्रेजों के शासन काल में यह खदान बर्ड एंड ग्रुप कंपनी के अधीन थी. यहां से कच्चा माल दुर्गापुर, बोकारो, भिलाई एवं वाइजग आदि संयंत्रों को भेजा जा रहा था. BSLC को नकदी संकट के कारण पिछले कुछ दिनों से अपना कामकाज बंद करना पड़ा.