Banks Stocks Dividend: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 6 फीसदी से कम NPA रेश्यो वाले बैंकों को डिविडेंड घोषित करने की अनुमति देने का मंगलवार को प्रस्ताव रखा. मौजूदा मानकों के मुताबिक, बैंकों को लाभांश की घोषणा की पात्रता हासिल करने के लिए उनका शुद्ध NPA अनुपात सात फीसदी तक होना चाहिए. इन मानकों को वर्ष 2005 में आखिरी बार संशोधित किया गया था. अब रिजर्व बैंक ने डिविडेंड एलान करने के अपने गाइडलाइंस के ड्राफ्ट में इस रेश्यो को बदलने की बात कही है. 

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RBI ने कहा, "जिस वित्त वर्ष के लिए लाभांश देने का प्रस्ताव है, उसके लिए बैंक का शुद्ध एनपीए अनुपात 6 फीसदी से कम होगा." 

RBI ने कहा कि वित्तीय स्थिरता के लिए लाए गए Basel III मानकों पर अमल, त्वरित उपचारात्मक कार्रवाई (PSA) ढांचे में संशोधन और खास मकसद के लिए अलग बैंकों की शुरुआत को ध्यान में रखते हुए लाभांश घोषणा संबंधी दिशानिर्देशों की समीक्षा की गई है. 

RBI ने 31 जनवरी तक मांगा सुझाव

केंद्रीय बैंक ने नए दिशानिर्देश को वित्त वर्ष 2024-25 से लागू करने का प्रस्ताव रखा है. इस प्रस्ताव पर लोगों से 31 जनवरी तक सुझाव मांगे गए हैं. मसौदे में लाभांश भुगतान के प्रस्तावों पर विचार करते समय बैंकों के निदेशक मंडल को निर्देशों का पालन करने को कहा गया है. 

डिविडेंड के लिए जरूरी है ये नियम

लाभांश घोषणा का पात्र बनने के लिए एक कॉमर्शियल बैंक के पास न्यूनतम 11.5 फीसदी का पूंजी पर्याप्तता अनुपात होना चाहिए. लघु वित्त बैंक और भुगतान बैंकों के मामले में यह अनुपात 15 प्रतिशत और स्थानीय क्षेत्रीय बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के लिए नौ प्रतिशत निर्धारित किया गया है. इस प्रस्ताव को मौजूदा मानदंडों में रियायत के रूप में देखा जा सकता है. 

रिज़र्व बैंक ने लाभांश भुगतान अनुपात पर ऊपरी सीमा को 40 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने का भी प्रस्ताव दिया है. 

मसौदे के मुताबिक, रिजर्व बैंक 'लाभांश की घोषणा पर तदर्थ वितरण' के किसी भी अनुरोध पर विचार नहीं करेगा. विदेशी बैंकों के मामले में RBI ने कहा है कि वे उसकी पूर्व-अनुमति के बगैर भारतीय परिचालन से अर्जित एक तिमाही या एक वर्ष का शुद्ध लाभ या अधिशेष अपने देश भेज सकते हैं.