बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद ने कर्ज के बोझ से दबी रुचि सोया के लिए अपनी बोली करीब 200 करोड़ रुपये बढ़ाकर 4,350 करोड़ रुपये कर दी है. रुचि सोया दिवाला निपटान प्रक्रिया में है. रुचि सोया के ऋणदाता जल्द पतंजलि की संशोधित बोली पर विचार कर सकते हैं. पतंजलि के साथ लंबे समय तक चले संघर्ष के बाद अडाणी विल्मर पिछले साल अगस्त में रुचि सोया के लिए सबसे ऊंची बोली लगाने वाली कंपनी के रूप में उभरी थी. बाद में अडाणी विल्मर यह कहते हुए इस दौड़ से हट गई थी कि दिवाला निपटान प्रक्रिया में काफी विलंब हो रहा है. 

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पतंजलि के प्रवक्ता एस के तिजारावाला ने कहा, ‘‘हमने अपनी बोली 4,160 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 4,350 करोड़ रुपये कर दी है. हम रुचि सोया को संकट से उबरने को प्रतिबद्ध हैं. रुचि सोया के पास सोयाबीन के लिए सबसे बड़ा ढांचा है.’’ प्रवक्ता ने कहा कि हमने यह फैसला किसानों और उपभोक्ताओं सहित सभी अंशधारकों के हित को ध्यान में रखकर लिया है. 

सूत्रों ने बताया कि ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) अगले सप्ताह पतंजलि की संशोधित पेशकश पर विचार करेगी. दिसंबर, 2017 में इंदौर की कंपनी रुचि सोया इंडस्ट्रीज को कॉरपोरेट दिवाला निपटान प्रक्रिया के लिए भेजा गया था. राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने कंपनी के ऋणदाताओं स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक और डीबीएस बैंक के आवेदन पर दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता के तहत शैलेन्द्र अजमेरा को निपटान पेशेवर नियुक्त किया था. 

रुचि सोया पर करीब 12,000 करोड़ रुपये का कर्ज है. कंपनी के कई विनिर्माण संयंत्र हैं. कंपनी के प्रमुख ब्रांडों में न्यूट्रीला, महाकोश, सनरिच, रुचि स्टार और रुचि गोल्ड शामिल हैं.