हाल ही में एडवर्टाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया (ASCI) ने नियमों का उल्लंघन करते हुए गलत विज्ञापन दिखाने वाले करीब 3200 विज्ञापनों (AD Violators List) पर कार्रवाई की थी. अधिकतर मामलों में गुमराह करने वाले दावे मिले, जो कुल मामलों का करीब 81 फीसदी थे. 34 फीसदी ऐसे मामले सामने आए, जिसमें नुकसानदेह प्रोडक्ट्स को प्रमोट किया गया. अब यहां एक बड़ा सवाल ये उठता है कि आखिर कब किसी कंपनी को AD Voilator माना जाता है. आइए जानते हैं ASCI के कोड के तहत किन 4 पैमानों पर हर विज्ञापन को खरा उतरना जरूरी होता है.

1- सच्चाई और ईमानदारी

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एएससीआई के कोड्स के अनुसार हर विज्ञापन सच्चा होना चाहिए. जो भी दावे कंपनी की तरफ से किए जा रहे हैं, वह सच्चे होने चाहिए. अगर किसी रिसर्च के आधार पर दावे किए जा रहे हैं, तो उसके सोर्स के बारे में बताना जरूरी है. विज्ञापन देने वाले को किसी भी तरह ना तो तथ्यों से छेड़खानी करनी चाहिए, ना ही ग्राहकों को गुमराह करने की कोशिश करनी चाहिए या गुमराह करने वाला कोई विजुअल दिखाना चाहिए. किसी भी विज्ञापन में ऐसे दावे नहीं किए जा सकते हैं, जिनसे ग्राहकों का भरोसा टूटे.

2- जनता की भावनाएं आहत ना हों

हर विज्ञापन में कंपनी को यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि उसके विज्ञापन से जनता की भावनाएं आहत ना हों. विज्ञापन में कुछ भी  अश्लील या अभद्र नहीं होना चाहिए. विज्ञापन में महिलाओं को ऐसा नहीं दिखाना चाहिए, जिससे समाज में महिलाओं को बुरा लगे. 

3- हानिकारक प्रोडक्ट और सेवाओं का विज्ञापन नहीं

किसी भी विज्ञापन के तहत ऐसा कोई प्रोडक्ट या सर्विस प्रमोट नहीं किया जा सकता, जो समाज के लिए या समाज के लोगों के लिए नुकसानदायक हो. ऐसी किसी चीज का विज्ञापन नहीं किया जा सकता जो अपराध करने के लिए लोगों को भड़काए और जिससे हिंसा भड़के या कानून व्यवस्था खराब हो. यानी किसी भी विज्ञापन में हथियारों या नशीले पदार्थों के सेवन को प्रमोट नहीं किया जा सकता. विज्ञापन में किसी भी व्यक्ति या ग्रुप के बारे में रंग, जाति, धर्म, लिंग, शरीर, उम्र, दिमागी  हालत आदि के आधार नुकसान पहुंचाने वाला विज्ञापन नहीं किया जा सकता. 

विज्ञापन में यह भी ध्यान रखना होगा कि उससे पड़ोसी देशों के साथ संबंध खराब नहीं होने चाहिए. बच्चों के लिए बनाए गए किसी भी विज्ञापन में ऐसा कुछ नहीं दिखाया जा सकता, जिससे उनके फिजिटल या मेंटल रूप से किसी परेशानी का सामना करना पड़े. विज्ञापन में ऐसा कुछ नहीं होना चाहिए जो कानून के खिलाफ जाता हो या ऐसा करने को प्रमोट करता हो. ऐसे किसी प्रोडक्ट का विज्ञापन नहीं किया जा सकता है, जिसका इस्तेमाल कानून की तरफ से प्रतिबंधित किया गया हो.

4- कॉम्पटीशन में फेयरनेस

हर विज्ञापन में इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि अपने प्रोडक्ट को प्रमोट करते वक्त प्रतिद्वंद्वियों का नाम नहीं लेना चाहिए. किसी कॉम्पटीटर के प्रोडक्ट को विज्ञापन के जरिए नीचा दिखाना नियमों के खिलाफ है. किसी दूसरे प्रोडक्ट से तुलना करते वक्त जो भी तथ्य बताए जाएं, वह पूरी तरह सच होने चाहिए. तुलना करते हुए ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए, जिससे ग्राहक गुमराह हों. कोई भी विज्ञापन किसी दूसरी कंपनी की तरफ से चलाए गए विज्ञापन की कॉपी नहीं होनी चाहिए.