अनिल अंबानी की रिलायंस कम्युनिकेशंस (R-Com) द्वारा दिवालिया घोषित किए जाने की अपील दायर करने का सीधा फायदा उनके बड़े भाई मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो (Reliance Jio) को मिल सकता है. आर-कॉम ने खुद ही इसके लिए दिवाला एवं ऋणशोधन कानून के तहत समाधान प्रक्रिया में जाने का फैसला किया है. इससे पहले अनिल अंबानी ने मुकेश अंबानी को कंपनी के टावर, स्पेक्ट्रम और फाइबर एसेट बेचने की कोशिश की, लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिल सकी. कंपनी को कर्ज देने वालों ने इस बिक्री पर यह कहते हुए आपत्ति जताई कि पहले उनका कर्ज चुकाना चाहिए, उसके बाद ही बिक्री होनी चाहिए.

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ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक अब आर-कॉम के दिवालिया प्रक्रिया में जाने के कारण मुंकेश अंबानी की रियो को और फायदा होगा क्योंकि नीलामी की प्रक्रिया में बहुत संभव है कि सिर्फ जियो की कंपनी की परिसंपत्तियों में दिलचस्पी होगी. ऐसे में रिलायंस जियो आर-कॉम को बहुत सस्ते में खरीद सकती है. एक शीर्ष अदालत ने जनवरी में उन नियमों से राहत देने का फैसला दिया था, जिसके तहत दिवालिया प्रक्रिया में नीलामी के दौरान कंपनी में नियंत्रक हिस्सेदारी रखने वाले व्यक्ति के परिवार के सदस्य बोली में शामिल नहीं हो सकते थे.

एलएंडएल पार्टनर्स लॉ फर्म की पार्टनर अपूर्वा जयंत ने ब्लूमबर्ग को बताया, 'अगर तरलीकरण की प्रक्रिया आगे बढ़ती है तो आरकॉम की वैल्यू खत्म हो जाएगी और ऋणशोधन की प्रक्रिया में बोली लगाने वाले कर्जदाताओं के साथ तगड़ी मोलतोल कर सकते हैं और कीमतों को और कम कर सकते हैं.' इस सिलसिले में ब्लूमबर्ग ने कुछ सवाल रिलायंस जियो को ईमेल से भेजे थे, जिनका हालांकि कोई जवाब नहीं आया.