GoFirst को खरीदने के लिए SpiceJet के अजय सिंह और Busy Bee Airways ने मिलकर लगाई बोली, स्टॉक 12% उछला
GoFirst Bid: बिजी बी एयरवेज प्राइवेट लिमिटेड के साथ अजय सिंह ने अपनी व्यक्तिगत क्षमता में गो फर्स्ट के लिए बोली जमा की है.
GoFirst Bid: एयरलाइन कंपनी स्पाइसजेट (SpiceJet) के प्रमुख अजय सिंह ने बिजी बी एयरवेज (Busy Bee Airways) के साथ मिलकर दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही एयरलाइन गो फर्स्ट के लिए बोली लगाई है. स्पाइसजेट ने एक विज्ञप्ति में कहा कि बिजी बी एयरवेज प्राइवेट लिमिटेड (Busy Bee Airways Private Limited) के साथ सिंह ने अपनी व्यक्तिगत क्षमता में गो फर्स्ट (GoFirst) के लिए बोली जमा की है. हालांकि बिजी बी एयरवेज के बारे में विशेष विवरण तत्काल पता नहीं लगाया जा सका. शुक्रवार (16 फरवरी) को SpiceJet का शेयर 12% चढ़कर 70.81 के स्तर पर बंद हुआ.
गंभीर वित्तीय संकट से गुजर रही गो फर्स्ट (GoFirst) ने पिछले साल मई में उड़ानें बंद कर दी थीं और वह इस समय दिवाला समाधान प्रक्रिया से गुजर रही है. स्पाइसजेट ने कहा, नई एयरलाइन के लिए परिचालन भागीदार के तौर पर स्पाइसजेट (SpiceJet) की भूमिका जरूरी कर्मचारी, सेवाएं और उद्योग विशेषज्ञता मुहैया कराने की है. इस सहयोग से दोनों एयरलाइंस के बीच तालमेल पैदा होने की उम्मीद है, जिससे लागत प्रबंधन में सुधार, रेवेन्यू ग्रोथ और बाजार में मजबूत स्थिति पैदा होगी.
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स्पाइसजेट (SpiceJet) के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर ने दृढ़ विश्वास जताया है कि गो फर्स्ट (GoFirst) में अपार संभावनाएं हैं और इसे स्पाइसजेट के साथ करीबी तालमेल में काम करने के लिए दोबारा खड़ा किया जा सकता है और इससे दोनों को फायदा होगा.
सिंह ने कहा कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर प्रतिष्ठित स्लॉट, अंतरराष्ट्रीय यातायात अधिकार और 100 से अधिक एयरबस नियो विमानों (Airbus Neo planes) के ऑर्डर के साथ गो फर्स्ट (GoFirst) यात्रियों के बीच एक विश्वसनीय और वैल्युएबल ब्रांड है.
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स्पाइसजेट वर्तमान में एक रिवाइवल प्लान के बीच में है, जिसने 744 करोड़ रुपये की कैपिटल निवेश की पहली किस्त को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है, अतिरिक्त सदस्यता के लिए नियामक अनुमोदन लंबित है. कंपनी ने अतिरिक्त 1000 करोड़ रुपये जुटाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है. स्पाइसजेट के पास पहले से ही QIP के माध्यम से 2500 करोड़ रुपये तक जुटाने के लिए वैध शेयरधारक अनुमोदन है, जिससे आगे शेयरधारक अनुमोदन की जरूरत समाप्त हो गई है.