Hindenburg रिपोर्ट पर 360 ONE WAM का बयान, कहा- अदानी के किसी भी शेयर में नहीं किया निवेश
Hindenburg Research: हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर 36द ONE WAM ने कहा, IPE Plus 1 फंड में माधबी पुरी बुच, धवल बुच का 1.5 फीसदी से कम हिस्सा था. फंड के कामकाज, निवेश फैसले पर किसी इन्वेस्टर्स का रोल नहीं.
Hindenburg Research: अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग (Hindenburg Research) ने कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी (Sebi) की प्रमुख माधबी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch)और उनके पति धवल बुच पर गंभीर आरोप लगाए हैं. आरोप लगाया है कि SEBI चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच के पास अडानी ग्रुप (Adani Group) की एक कंपनी में हिस्सेदारी है, जो इस घोटाले में शामिल हैं. हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर 36O ONE WAM ने जानकारी दी है.
36O ONE WAM ने क्या दी जानकारी
हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर 36O ONE WAM, जो पहले IIFL वेल्थ एंड एसेट मैनेजमेंट ने कहा, IPE Plus 1 एक रेगुलेटेड फंड, अक्टूबर 2013 में लॉन्च हुआ था. यह फंड अक्टूबर 2013 से अक्टूबर 2019 तक ऑपरेट हुआ. IPE Plus 1 ने अदानी के किसी भी शेयर में निवेश नहीं किया. IPE Plus 1 का AUM लगभग 48 मिलियन डॉलर तक पहुंचा था. फंड का 90 फीसदी से अधिक हिस्सा लगातार बॉन्ड्स में निवेश किया गया.
36O ONE WAM ने कहा, फंड में माधबी पुरी बुच, धवल बुच का 1.5 फीसदी से कम हिस्सा था. किसी भी फंड के जरिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में निवेश नहीं. फंड के कामकाज, निवेश फैसले पर किसी इन्वेस्टर्स का रोल नहीं. हमारे सभी फंड, सभी नियमों का पालन करते हैं.
हिंडनबर्ग ने सेबी प्रमुख पर क्या लगाए आरोप
हिंडनबर्ग ने शनिवार रात को जारी एक ब्लॉगपोस्ट में कहा कि सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति ने विदेश में स्थित उन इकाइयों में निवेश किया, जो कथित तौर पर इंडिया इन्फोलाइन द्वारा प्रबंधित एक फंड का हिस्सा थे और उसमें अदानी समूह के चेयरमैन गौतम अदानी के बड़े भाई विनोद अदानी ने भी निवेश किया था.
हिंडनबर्ग के मुताबिक, बुच दंपति के ये निवेश 2015 के हैं जो सेबी के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में माधवी की 2017 में नियुक्ति और मार्च 2022 में चेयरपर्सन के रूप में उनकी पदोन्नति से काफी पहले के हैं. अमेरिकी निवेश फर्म ने कहा कि बरमूडा स्थित ग्लोबल ऑपर्च्युनिटीज फंड भी इस फंड में निवेश करने वालों में शामिल था. अदानी समूह से जुड़ी इकाइयों द्वारा समूह की कंपनियों के शेयरों में कारोबार के लिए कथित तौर पर ग्लोबल ऑपर्च्युनिटीज फंड का ही इस्तेमाल किया गया था.