YES BANK के कस्टमर्स को झटका, 50 हजार रुपये से ज्यादा राशि निकालने पर लगी रोक
YES BANK Crisis: रिजर्व बैंक ने नकदी संकट से जूझ रहे प्राइवेट सेक्टर के येस बैंक (YES BANK) पर रोक लगाते हुए उसके निदेशक मंडल को भंग कर दिया है. निदेशक मंडल पिछले छह माह से बैंक के लिए जरूरी पूंजी जुटाने में विफल रहा.
YES BANK Crisis: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI ) ने गुरुवार को नकदी संकट से जूझ रहे प्राइवेट सेक्टर के येस बैंक (YES BANK) पर रोक लगाते हुए उसके निदेशक मंडल को भंग कर दिया है. इसके अलावा बैंक के जमाकर्ताओं के लिए 50,000 रुपये की निकासी की सीमा तय की है. बैंक के लिए एक प्रशासक की भी नियुक्ति की गई है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, रिजर्व बैंक ने सरकार के साथ विचार-विमर्श के बाद जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए यह कदम उठाया है. येस बैंक का शेयर 6 मार्च को सुबह 10 बजे के करीब भारी गिरावट पर 27.65 रुपये के आस-पास कारोबार कर रहा था. शेयर तब करीब 25 प्रतिशत कमजोर था.
रिजर्व बैंक ने येस बैंक के निदेशक मंडल को भी भंग कर दिया है. निदेशक मंडल (Board of directors) पिछले छह माह से बैंक के लिए जरूरी पूंजी जुटाने में विफल रहा. भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी (CFO) प्रशांत कुमार को येस बैंक का प्रशासक नियुक्त किया गया है.
रिजर्व बैंक ने देर शाम जारी बयान में कहा कि केंद्रीय बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि विश्वसनीय पुनरोद्धार योजना (Reliable revival plan) के अभाव, सार्वजनिक हित और बैंक के जमाकर्ताओं के हित में उसके सामने बैंकिंग नियमन कानून, 1949 की धारा 45 के तहत रोक लगाने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं है.
बयान में कहा गया है कि बैंक के प्रबंधन ने इस बात का संकेत दिया था कि वह विभिन्न निवेशकों से बात कर रहा है और इसमें सफलता मिलने की उम्मीद है. बैंक कई निजी इक्विटी कंपनियों के साथ भी पूंजी निवेश के लिए बात कर रहा था. बयान में कहा गया है कि इन निवेशकों ने रिजर्व बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ भी विचार विमर्श किया, लेकिन विभिन्न वजहों से उन्होंने बैंक में कोई पूंजी नहीं डाली.
केंद्रीय बैंक ने कहा कि नियामकीय पुनर्गठन के बजाय एक बैंक या बाजार आधारित पुनरोद्धार अधिक बेहतर विकल्प होता इसलिए रिजर्व बैंक ने इस तरह की प्रक्रिया के लिए पूरे प्रयास किए. बैंक के प्रबंधन को एक विश्वसनीय पुनरोद्धार योजना तैयार करने के लिए पूरा अवसर दिया गया, लेकिन यह सिरे नहीं चढ़ सकी. केंद्रीय बैंक ने अपने इस कदम को उचित ठहराते हुए कहा कि इन घटनाक्रमों के बीच बैंक से लगातार पूंजी निकलती रही.
इससे पहले दिन में सरकार ने एसबीआई और अन्य वित्तीय संस्थानों को येस बैंक को उबारने की अनुमति दी थी. यदि इस योजना का क्रियान्वयन होता है तो कई वर्षों में यह पहला मौका होगा जबकि निजी क्षेत्र के किसी बैंक को जनता के धन के जरिये संकट से उबारा गया.
ज़ी बिज़नेस LIVE TV देखें:
इससे पहले 2004 में ग्लोबल ट्रस्ट बैंक का ओरियंटल बैंक आफ कॉमर्स में विलय किया गया था. 2006 में आईडीबीआई बैंक ने यूनाइटेड वेस्टर्न बैंक का अधिग्रहण किया था. इससे करीब छह माह पहले रिजर्व बैंक ने बड़ा घोटाला सामने आने के बाद शहर के सहकारी बैंक पीएमसी बैंक के मामले में भी इसी तरह का कदम उठाया गया था.