रिजर्व बैंक (Reserve Bank) ने नकदी संकट से जूझ रहे निजी क्षेत्र के यस बैंक (Yes Bank) पर रोक लगाते हुए उसके निदेशक बोर्ड को भंग कर दिया है. इसके अलावा बैंक के जमाकर्ताओं के लिए महीने में एक बार 50,000 रुपये निकालने की सीमा तय की है. केंद्रीय बैंक ने साथ ही भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी (CFO) प्रशांत कुमार को बैंक का प्रशासक नियुक्त किया गया है. लेकिन संकट में फंसे लोगों के लिए RBI ने थोड़ी राहत भी दी है.

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RBI के मुताबिक अगर किसी ग्राहक को मेडिकल इमरजेंसी, घर में शादी या एजुकेशन से जुड़े खर्च के लिए अधिक रकम चाहिए तो वे 5 लाख रुपये तक निकाल सकते हैं. इसके लिए प्रॉपर डॉक्‍युमेंट लगेंगे तभी बैंक ग्राहक को 50 हजार से ज्‍यादा रकम निकालने के लिए मंजूरी देगा.

रिजर्व बैंक ने कहा कि केंद्रीय बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि विश्वसनीय पुनरोद्धार योजना के अभाव, सार्वजनिक हित और बैंक के जमाकर्ताओं के हित में उसके सामने बैंकिंग नियमन कानून, 1949 की धारा 45 के तहत रोक लगाने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं है.

यस बैंक अगस्त, 2018 से संकट में है. उस समय रिजर्व बैंक ने बैंक के तत्कालीन प्रमुख राणा कपूर से कामकाज के संचालन और कर्ज से जुड़ी खामियों की वजह से 31 जनवरी, 2019 तक पद छोड़ने को कहा था. 

उनके उत्तराधिकारी रवनीत गिल के तहत बैंक ने दबाव वाली ऐसी संपत्तियों का खुलासा किया है जिनकी जानकारी नहीं दी गई थी. बैंक को मार्च, 2019 की तिमाही में पहली बार घाटा हुआ था. यस बैंक ने शुरुआत में दो अरब डॉलर की पूंजी जुटाने की योजना बनाई थी. 

बाद में बैंक के निदेशक मंडल ने कनाडा के निवेशक एसपीजीपी ग्रुप-इर्विन सिंह ब्रायच के 1.2 अरब डॉलर के निवेश के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था. मुंबई मुख्यालय वाले यस बैंक की स्थापना 2004 में हुई थी. जून, 2019 के अंत तक बैंक की पूंजी का आकार 3,71,160 करोड़ रुपये था.

इससे पहले 2004 में ग्लोबल ट्रस्ट बैंक का ओरियंटल बैंक आफ कॉमर्स (OBC) में विलय किया गया था. 2006 में आईडीबीआई बैंक ने यूनाइटेड वेस्टर्न बैंक का अधिग्रहण किया था. इससे करीब छह माह पहले रिजर्व बैंक ने बड़ा घोटाला सामने आने के बाद शहर के सहकारी बैंक पीएमसी बैंक के मामले में भी इसी तरह का कदम उठाया गया था.