RBI गवर्नर ने जिस टर्म 'एवरग्रीनिंग' का इस्तेमाल किया ये होता क्या है, बैंक क्या छुपाने के लिए करते हैं इसका इस्तेमाल?
RBI Governor News: रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांता दास (Shaktikanta Das) ने बैंकिंग सिस्टम के लूपहोल की कुछ परतें खोली हैं. दरअसल, बैंकों के बोर्ड के साथ हुई मीटिंग में आरबीई गवर्नर ने बैंकों के मैनेजमेंट की क्लास लगाई है.
RBI Governor News: रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांता दास (Shaktikanta Das) ने बैंकिंग सिस्टम के लूपहोल की कुछ परतें खोली हैं. दरअसल, बैंकों के बोर्ड के साथ हुई मीटिंग में आरबीआई गवर्नर ने बैंकों के मैनेजमेंट की क्लास लगाई है. खराब कॉरपोरेट गवर्नेंस को लेकर जिम्मेदार ठहराया है. ये पहली बार था जब बैंकों के बोर्ड सदस्यों के साथ RBI गवर्नर की बैठक हुई है. दरअसल, काफी वक्त से सिस्टम को लेकर शिकायतें मिल रही थीं. इसके बाद आरबीआई गवर्नर (RBI Governor to Bank board) ने बैंकों के बोर्ड को उनकी जिम्मेदारी और अधिकारों को याद दिलाया है. बैंकों में गड़बड़ियों को लेकर ज्यादा सतर्कता बरतने की हिदायत दी गई है. इसी बैठक में रिजर्व बैंक गवर्नर ने साफ-साफ कहा कि बैंक डूबे कर्जों को छिपाने और मुनाफा दिखाने के लिए जो जो चालबाजियां चल रही हैं, उस पर पैनी नजर है.
लोन में एवरग्रीनिंग आखिर है क्या?
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने बैंक बोर्ड के सदस्यों के साथ हुई मीटिंग में एवरग्रीनिंग (Evergreening) शब्द का इस्तेमाल किया. बैंकिंग सिस्टम में ये शब्द नया नहीं है. बल्कि दुनियाभर में इस शब्द का इस्तेमाल होता है. लेकिन, आखिर ये एवरग्रीनिंग होता क्या है? और इसका इस्तेमाल कहां और कैसे किया जाता है. दरअसल, ये कोई पॉजिटिव प्वाइंट नहीं है. एवरग्रीनिंग लोन में इस्तेमाल होने वाली एक टर्म है. लोन की एवरग्रीनिंग (Evergreen Loans) उस प्रक्रिया को कहा जाता है, जब बैंक डिफॉल्ट होने के कगार पर पहुंच चुके लोन (NPA) को दोबारा रिवाइव करने के लिए उसी कंपनी को अतिरिक्त लोन दे देते हैं.
एवरग्रिनिंग का इस्तेमाल कैसे करते हैं बैंक?
एवरग्रीनिंग प्रक्रिया बैंकिंग सिस्टम में काफी पॉपुलर टर्म है. आसान शब्दों में कहें तो बैंक इसका इस्तेमाल NPA को छुपाने के लिए करते हैं. इसके जरिए जो कंपनी लोन डिफॉल्ट करने वाली होती है, उसे बैंक अतिरिक्त लोन देते हैं. इससे वो पुराने लोन की किस्त या ब्याज का पैसा चुका सकता है. इससे NPA को छुपाने में बैंक कामयाब हो जाते हैं. हालांकि, इस प्रक्रिया के असर पूरी तरह से निगेटिव देखने को मिल सकते हैं. क्योंकि, जो कंपनी पहले ही डिफॉल्ट कर रही थी, उसे और लोन देकर बैंक अपनी ज्यादा रकम को डिफॉल्ट में डालने का जोखिम उठाते हैं. इससे उनकी मौजूदा बुक (बैलेंसशीट) तो अच्छी दिखती हैं, लेकिन भविष्य के लिए एक बड़ा खतरा बन सकती है.
एवरग्रिनिंग को लेकर RBI क्यों चिंतित है?
बैंकिंग एक्सपर्ट्स का मानना है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का लोन की एवरग्रिनिंग को लेकर चिंतित होना बनता है. क्योंकि, इस प्रक्रिया से बैंकिंग सिस्टम को भविष्य में काफी नुकसान हो सकता है. छोटी अवधि के लिए बैंक अपनी बुक (बैलेंसशीट) साफ करके मुनाफा दिखा सकते हैं. लेकिन, भविष्य में माइक्रोलेंडिंग बिजनेस के बर्बाद होने का खतरा रहता है. इसलिए RBI गवर्नर ने बैंक बोर्ड के सदस्यों को अलर्ट किया है. दूसरा परिणाम ये भी हो सकता है कि देश में राजनीतिक हंगामा खड़ा हो सकता है. विपक्ष इस तरह की खामियों के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए हंगामा कर सकता है. इसका जवाब देना सरकार के लिए भी मुश्किल भरा हो सकता है.
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